नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में जाति-आधारित सर्वेक्षण से संबंधित याचिका पर बिहार सरकार को नोटिस जारी किया और मामले को जनवरी 2024 के लिए सूचीबद्ध किया है. जाति गणना की रिपोर्ट पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है और नोटिस जारी कर नीतीश सरकार से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण के आंकड़ों से पैदा हुए मुद्दे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. SC का कहना है - "हम राज्य सरकार या किसी भी सरकार को फैसला लेने से नहीं रोक सकते, यह गलत होगा." कोर्ट राज्य सरकार को फ़ैसला लेने से रोक नहीं सकती है, जाति गणना के आंकड़ों पर कोई आपत्ति है तो उस पर गौर किया जाएगा" बिहार के बाद यूपी में भी उठी जातीय जनगणना की मांग.
SC ने कहा- जाति आधारित सर्वेक्षण के आंकड़ों के संबंध में किसी भी मुद्दे पर विचार करेंगे. इस मामले में अगली सुनवाई जनवरी 2024 में होगी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में कहा गया है कि जातीय गणना में लोगों के निजी आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए जाए. साथ ही अदालत ने बिहार सरकार से जनवरी तक नोटिस का जवाब देने के लिए कहा है.
बता दें कि बिहार सरकार ने सोमवार को जाति आधारित सर्वेक्षण के आंकड़े जारी किये. जातिगत सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार बिहार की कुल जनसंख्या 130725310 में से 63 प्रतिशत लोग अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) श्रेणी से हैं.
बिहार जातीय आंकड़े जारी करने वाला पहला राज्य बन गया है. इस रिपोर्ट के अनुसार राज्य की साढ़े 13 करोड़ से अधिक आबादी में हिंदुओं की संख्या 81.99 प्रतिशत है, जबकि मुस्लिमों की जनसंख्या 17.70 प्रतिशत है. 2011 की जनगणना के अनुसार हिंदुओं की जनसंख्या 82.70 प्रतिशत थी, वहीं मुस्लिमों की आबादी 16.90 प्रतिशत थी.
बिहार में ओबीसी कैटेगरी के दो पार्ट हैं, पहला अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी-एक्सट्रीमली बैकवॉर्ड क्लास) तथा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी). रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 प्रतिशत है, जबकि पिछड़ा वर्ग की 27.12 प्रतिशत, अर्थात इस वर्ग की कुल आबादी 63 प्रतिशत से भी अधिक हो गई है. वहीं, अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 19.65 प्रतिशत तो अनुसूचित जाति की जनसंख्या 1.68 फीसद है. ईबीसी में कुल 112 जातियां हैं, जिनमें मात्र 12 जातियों की जनसंख्या 24.09 प्रतिशत है.
इसके अलावा ओबीसी में कुल 29 जातियां हैं, जिनमें मात्र पांच जातियों की संख्या ही 25.51 फीसदी है. ओबीसी में सबसे अधिक 14.26 प्रतिशत यादव हैं. वहीं सवर्णों यानी अनारक्षित वर्ग की बात करें तो इनकी कुल आबादी 15.52 फीसदी है. इनमें ब्राह्मण 3.65, राजपूत 3.45, भूमिहार 2.86 तथा कायस्थ 0.60 प्रतिशत व अन्य हैं.