लखनऊ, 3 अक्टूबर: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को बिहार सरकार द्वारा कराए गए जातीय जनगणना के मामले में अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि यूपी सरकार को अब अपनी नीयत व नीति में जन भावना व जन अपेक्षा के अनुसार सुधार कर जातीय जनगणना अविलम्ब शुरू करा देना चाहिए. यह भी पढ़ें: World Bank- Indian Economy Growth Estimate: विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर का अनुमान 6.3% पर बरकरार रखा
बसपा मुखिया मायावती ने मंगलवार को सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि बिहार सरकार द्वारा कराए गए जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक होने की खबरें आज काफी सुर्खियों में हैं तथा उस पर गहन चर्चाएं जारी हैं. कुछ पार्टियाँ इससे असहज ज़रूर हैं किन्तु बीएसपी के लिए ओबीसी के संवैधानिक हक के लम्बे संघर्ष की यह पहली सीढ़ी है.
उन्होंने आगे लिखा कि बीएसपी को प्रसन्नता है कि देश की राजनीति उपेक्षित ’बहुजन समाज’ के पक्ष में इस कारण नया करवट ले रही है, जिसका नतीजा है कि एससी/एसटी आरक्षण को निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने तथा घोर ओबीसी व मंडल विरोधी जातिवादी एवं साम्प्रदायिक दल भी अपने भविष्य के प्रति चिन्तित नजर आने लगे हैं.
मायावती ने कहा कि यूपी सरकार को अब अपनी नीयत व नीति में जन भावना व जन अपेक्षा के अनुसार सुधार करके जातीय जनगणना/सर्वे अविलम्ब शुरू करा देना चाहिए, किन्तु इसका सही समाधान तभी होगा जब केन्द्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराकर उन्हें उनका वाजिब हक देना सुनिश्चित करेगी.
गौरतलब हो कि बिहार सरकार ने सोमवार को जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए. गांधी जयंती के दिन बिहार सरकार के मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों ने यह रिपोर्ट जारी की.
अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह ने बताया कि जातिगत सर्वे के मुताबिक बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ के करीब है. रिपोर्ट के अनुसार अति पिछड़ा वर्ग 27.12 प्रतिशत, अत्यन्त पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत और अनारक्षित यानी सवर्ण 15.52 प्रतिशत हैं.