Mandir Wahi Banayenge: राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे! 22 साल के लड़के का नारा, जिसने बदल दी इतिहास की धारा, जानें पूरी कहानी
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Ayodhya Ram Mandir Inauguration:  अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में 22 जनवरी को दोपहर 12:30 बजे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. सदियों तक जारी विवाद के बाद अयोध्या में  राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है. राम लला अपने गर्भगृह में विराजमान होंगे, लेकिन क्या आपको पता है  दशकों तक राम जन्म भूमि के लिए आंदोलन चले. इस दौरान एक ऐसा नारा निकलकर सामने आया, जिसने आंदेलन में जान फूंक दी. रामभक्त अभी भी इस नारे उद्घोष करते हैं.

दशकों पुराने राम जन्म भूमि आंदोलन का सबसे चर्चित नारा रहा है, "राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे". ये नारा किसी किसी नेता या फिर साधु-संतों का दिया हुआ नहीं है. बल्कि ये नारा है 22 साल के एक लड़के का जो अयोध्या से करीब 1000 किलोमीटर दूर एक कार्यक्रम में मौजूद था और भीड़ के बीच अचानक से उसने वो लाइन बोल दी, जो राम जन्म भूमि आंदोलन का प्रतीक बन गई. VIDEO: क्यों थे भगवान राम के 4 भाई और राजा दशरथ की 3 रानियां? BJP के सुधांशु त्रिवेदी ने समझाया शास्त्रों का रहस्य, वीडियो वायरल

ये लड़का था मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के रहने वाले बाबा सत्यनारायण मौर्य. साल 1986 में बाबा सत्यनारायण मौर्य राम जन्म भूमि आंदोलन में शामिल हो गए थे. वो अयोध्या से करीब एक हजार किलोमीटर दूर राजगढ़ के एक कार्यक्रम में मौजूद थे. उस कार्यक्रम में राम जन्म भूमि आंदोलन के कई नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे. कार्यक्रम में बाबा सत्यनारायण मौर्य भी नारे लगा रहे थे. तभी अचानक से उनके मन में एक विचार आया और उन्होंने जोर से कहा, "राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे".

सत्यनारायण मौर्य: एक नारे से बदला इतिहास

सत्यनारायण मौर्य का ये नारा देखते ही देखते पूरे देश में फैल गया. ये नारा राम जन्म भूमि आंदोलन का प्रतीक बन गया. इस नारे ने राम भक्तों में एक नई ऊर्जा का संचार किया. इस नारे ने राम जन्म भूमि आंदोलन को एक नई दिशा दी. राम मंदिर निर्माण के लिए पेंटिंग-कविताओं-ओजस्वी भाषणों के माध्यम से अलख जगाने वाले सत्यनारायण मौर्य (बाबा) VHP के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष स्व अशोक सिंघल के साथ अधिकांश समय रहते थे.

1 फरवरी, 1986 का दिन भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है. इस दिन फैजाबाद कोर्ट के आदेश पर बाबरी ढाचा- राम जन्म स्थान पर लगा करीब 37 साल पुराना ताला खुल गया. इस फैसले से तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को राजनीतिक फायदा मिलने की उम्मीद थी, लेकिन इसका उल्टा हुआ. ताला खुलने से मुस्लिम समुदाय नाराज हो गया और बाबरी मस्जिद पर अपना हक कायम करने के लिए बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमिटी बनाई गई.

वहीं कोर्ट के आदेश पर ताला खुलने के बाद राम लला की पूजा भी शुरू हो गई. इस दौरान विश्व हिंदू परिषद की ओर से राम जन्म भूमि के लिए आंदोलन चलता रहा. इसी साल यानी कि साल 1986 में उज्जैन में बजरंग दल का शिविर लगा था. उस शिविर में एम कॉम की पढ़ाई कर रहा एक शख्स सत्यनारायण मौर्य मौजूद था.

शिविर के दौरान शाम को जब सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे थे, इसी दौरान सत्यनारायण मौर्य ने एक नारा उछाला, "राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे". ये नारा इतना दमदार था कि देखते ही देखते पूरी भीड़ इस नारे का उद्घोष करने लगी.

ये नारा राम जन्म भूमि आंदोलन का प्रतीक बन गया. इस नारे ने राम भक्तों में एक नई ऊर्जा का संचार किया. इस नारे ने राम जन्म भूमि आंदोलन को एक नई दिशा दी. हालांकि इस नारे पर राजनीति भी खूब हुई. कई लोगों ने इस नारे को सांप्रदायिक बताया और इसे लेकर विरोध प्रदर्शन हुए. लेकिन ये नारा राम भक्तों के दिलों में बस गया. आज जब राम मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है, तब भी ये नारा राम भक्तों के जुबान पर है.