नई दिल्ली: गेहूं और चीनी के बाद अब सरकार चावल के निर्यात (Rice Export Ban) पर प्रतिबंध लगा सकती है. सरकार पर्याप्त घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने और कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए यह कदम उठा सकती है. भारत इससे पहले गेहूं (Wheat) और चीनी (Sugar) के निर्यात पर बैन लगा चुका है. अब केंद्र सरकार चावल के निर्यात पर भी पाबंदियां लगाने की तैयारी में है. प्रधानमंत्री कार्यालय के नेतृत्व में एक समिति गैर-बासमती चावल सहित आवश्यक वस्तुओं का उत्पाद-दर-उत्पाद विश्लेषण कर रही है और मूल्य वृद्धि के कोई संकेत होने पर त्वरित उपाय किए जाने की उम्मीद है. महंगाई पर लगाम लगाने के लिए केंद्र का एक और बड़ा फैसला, सोयाबीन-सूरजमुखी तेल के आयात शुल्क में दी छूट.
हालांकि कुछ सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि "भारत सरकार की चावल (गैर-बासमती) निर्यात पर प्रतिबंध लगाने या इसके शिपमेंट पर किसी भी प्रतिबंध की घोषणा करने की कोई योजना नहीं है." अब देखना यह है कि वाकई सरकार सरकार इस मामले में आगे क्या फैसला लेती है.
क्यों बन रहे ऐसे हालात
दरअसल रूस और यूक्रेन के बीच 3 महीने से ज्यादा समय से चल रही जंग के कारण दुनिया भर में खाद्य संकट (Food Crisis) की स्थिति उत्पन्न हो गई है. इस कारण कई देश घरेलू बाजार में खाने-पीने की चीजों की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने के लिए निर्यात पर पाबंदियां लगा रहे हैं. भारत भी इन देशों में शामिल हो चुका है.
भारत सरकार गेहूं और चीनी के निर्यात पर पाबंदी लगा चुकी है. आने वाले समय में जिन उत्पादों के निर्यात पर पाबंदी लगाने की योजना है, उनमें गैर-बासमती चावल (Non-Basmati Rice) शामिल है. रिपोर्ट्स की मानें तो गैर-बासमती चावल के मामले में उसी तरह की पाबंदी लग सकती है, जैसी चीनी के मामले में लगाई गई है. चीनी के मामले में सरकार ने निर्यात पर 20 लाख टन का कैप लगाया है.