अमेरिकी रेटिंग एजेंसी फिच ने वैश्विक आर्थिक आउटलुक (Global Economic Outlook) के दिसंबर अंक में कहा कि अर्थव्यवस्था की बेहतर स्थिति को देखते हुए भारत की जीडीपी वृद्धि चालू वित्त वर्ष में 7 फीसदी रह सकती है. यह भी पढ़ें: एमसीडी चुनाव में जीत से गदगद ‘आप’, केजरीवाल ने दिल्ली वालों से किया बेहतर सुविधा का वादा
उभरते बाजारों में भारत की सबसे तेज विकास दर दर्ज करने की उम्मीद
भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही में उम्मीद से अधिक बढ़ी है. वहीं अर्थव्यवस्था में खपत और निवेश से बड़े पैमाने पर वृद्धि के कारण 6.3 प्रतिशत साल-दर-साल की बढ़ोतरी हो रही है. फिच ने बताया कि ये अनुमान उसके सितंबर ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक (जीईओ) के 5.5 के पूर्वानुमान से भी ऊपर है.
इस साल फिच 20 कवरेज में भारत के उभरते बाजारों में सबसे तेज विकास दर दर्ज करने की उम्मीद है. भारत को अपनी अर्थव्यवस्था की घरेलू रूप से केंद्रित प्रकृति को देखते हुए वैश्विक आर्थिक झटकों से ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है, जिसमें खपत और निवेश देश के सकल घरेलू उत्पाद का एक बड़ा हिस्सा है. विनिर्माण पीएमआई का रोजगार उप-सूचकांक भी अक्टूबर में लगभग तीन साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया है, जबकि सेवा क्षेत्र में भी समकक्ष विस्तार में रहा है.
विश्व बैंक ने भी जीडीपी के पूर्वानुमान को संशोधित कर किया 6.9 फीसदी
भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के संकेत को इस बात से भी समझा जा सकता है कि विश्व बैंक ने अपने नवीनतम भारत विकास अपडेट में ‘नेविगेटिंग द स्टॉर्म’ शीर्षक से चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि 6.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जो सितंबर के अंत में वर्ष के लिए अनुमानित 6.5 प्रतिशत से अधिक है.
विश्व बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ध्रुव शर्मा ने कहा कि इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि दो साल की अवधि के अंत में भारत उसी स्थिति में होगा जैसा हमने पहले भविष्यवाणी की थी. उन्होंने आगे कहा कि भारत 10 साल पहले की तुलना में अब अधिक मजबूत है। पिछले 10 सालों में उठाए गए सभी कदम भारत को वर्तमान वैश्विक विपरीत दिशा में संचालन करने में मदद कर रहे हैं। विश्व बैंक ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था न केवल अपने उभरते बाजार समकक्षों की तुलना में वैश्विक विपरीत परिस्थितियों को संभालने के लिए बेहतर स्थिति में है, बल्कि यह पिछले संकटों की तुलना में तेजी से कोविड-19 महामारी के झटकों से भी उबरी है.
अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने के प्रयास जारी
वर्तमान समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था भारी संकटों का सामना कर रही है। कोविड महामारी,रूस-यूक्रेन युद्ध,वैश्विक आपूर्ति शृंखला में अवरोध और ब्याज दरों में वृद्धि आदि ने दुनियाभर की आर्थिक प्रक्रियाओं को प्रभावित किया है। इस वर्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था में मात्र 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो पिछले वर्ष के 6 प्रतिशत से कम है और आने वाले वर्ष में इसके 2.7 प्रतिशत तक पहुंचने के आसार हैं.
लेकिन उसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने इस समय में न केवल स्वयं को इस से प्रभावित होने से बचाया है, बल्कि अपनी आर्थिक प्रक्रियाओं में भी बेहतर प्रदर्शन किया है. वर्तमान समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था के आँकड़े एकतरफ जब लगातार सिकुड़ रहें हैं वहीं ऐसे समय में भी भारत ने अपनी आर्थिक वृद्धि दर को संतुलित बनाए रखा है.
मौसमी रूप से समायोजित एसएंडपी ग्लोबल इंडिया विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (PMI) अक्टूबर के 55.3 से बढ़कर नवंबर में 55.7 हो गया जो तीन महीनों के दौरान परिचालन परिस्थितियों में मजबूत सुधार दर्शाता है वही नवंबर के पीएमआई आंकड़ों के साथ ही लगातार 17वें महीने में समग्र परिचालन स्थितियों में सुधार देखने को मिला है. इसके अतिरिक्त भारत ने अपने आयात-निर्यात संतुलन को भी बनाए रखा है.
ग्रोथ रेट को लेकर तमाम एजेंसियों का क्या कहना है?
इंडियन इकोनॉमी को लेकर अलग-अलग एजेंसियों की बात करें तो नवंबर के अंत में S&P Global Ratings ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को घटाकर सात फीसदी कर दिया था. लेकिन अब उसका अनुमान है कि वर्ष 2022-23 में भारत की विकास दर 7.3 फीसदी की गति से बढ़ेगी. इसके अलावा चालू वित्त वर्ष के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान 6.8 फीसदी है। S&P का अनुमान 7.3 फीसदी, मूडीज और मार्गन स्टैनली का अनुमान 7 फीसदी, गोल्डमैन सैक्श का 7.1 फीसदी, सिटी बैंक का 6.7 फीसदी और रिजर्व बैंक का 7 फीसदी का अनुमान है.