Abortions In India: भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं गर्भपात के मामले, महाराष्ट्र सबसे ऊपर; पढ़ें ये चौंकाने वाली रिपोर्ट
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Abortions In India: भारत में गर्भपात के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. खासकर मेडिकल गर्भपात (दवाइयों के जरिए किए जाने वाले) के मामलों में बड़ा उछाल देखने को मिला है. 2023 में ही देशभर में 11 लाख से अधिक गर्भपात दर्ज किए गए. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र 1.8 लाख मामलों के साथ पहले स्थान पर रहा, जबकि तमिलनाडु, 1.14 लाख  मामलों के साथ दूसरे और पश्चिम बंगाल 1.08 लाख के आंकड़ों के साथ तीसरे स्थान पर रहे.

वहीं अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, उत्तराखंड औ र हिमाचल प्रदेश में सबसे कम मामले सामने आए. विशेषज्ञों का मानना है कि महाराष्ट्र में बड़े आंकड़ों का कारण उसकी अधिक जनसंख्या और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं हो सकती हैं.

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असुरक्षित गर्भपात बना चिंता का विषय

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की 2015 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2007 से 2011 के बीच भारत में 67% गर्भपात असुरक्षित श्रेणी में आते थे. यह आंकड़ा राज्यों के अनुसार 45% से 78% के बीच था. असुरक्षित गर्भपात उन क्षेत्रों में अधिक हैं जहां स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं.

2015 के आंकड़े क्या कहते हैं?

'द लांसेट ग्लोबल हेल्थ' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 में भारत में कुल 1.56 करोड़ (15.6 मिलियन) गर्भपात हुए. यह संख्या सरकार द्वारा बताए गए वार्षिक 7 लाख के आंकड़े से काफी अधिक है. अध्ययन के अनुसार, 81% महिलाएं दवाओं के जरिए गर्भपात कराती हैं. 14% महिलाएं सर्जिकल गर्भपात का सहारा लेती हैं. वहीं, 5% मामले असुरक्षित तरीकों से किए गए.

2015 से 2019 के बीच क्या बदला?

गुट्टमाकर इंस्टीट्यूट के एक विश्लेषण में पाया गया कि 2015-2019 के बीच भारत में हर साल 48.5 मिलियन (4.85 करोड़) गर्भधारण हुए. इनमें से 21.5 मिलियन (2.15 करोड़) अनियोजित थे और 16.6 मिलियन (1.66 करोड़) गर्भपात में समाप्त हुए. यह दर्शाता है कि गर्भपात की दर 1990-94 की तुलना में 23% बढ़ी है. खासकर 2000-04 के बाद इसमें 37% की वृद्धि हुई.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ती संख्या दर्शाती है कि परिवार नियोजन के लिए जागरूकता और गर्भनिरोधक उपायों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. साथ ही, असुरक्षित गर्भपात के मामलों को रोकने के लिए सरकारी स्तर पर कड़े कदम उठाने की जरूरत है.