विशाखापट्टनम में गैस लीक के बाद अब तक 8 लोगों की हुई मौत, 240 उपचाराधीन और 20 की हालत गंभीर
विशाखापट्टनम गैस निकास (Photo Credits: ANI/Twitter)

विशाखापट्टनम, 7 मई: आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के विजग में गुरुवार तड़के एक केमिकल यूनिट में गैस रिसाव की आपदा से प्रभावित हुए लोगों में बड़ी संख्या में बच्चे शामिल हैं. इस दुर्घटना ने लोगों को भोपाल गैस त्रासदी की यादे ताजा कर दी है. इस हादसे में करीब 150 बच्चों को उपचार चल रहा है और उनमें से ज्यादातर पर इलाज का असर हो रहा है. डॉक्टरों ने इस बात की जानकारी दी.

अधिकारियों ने गैस को बेअसर कर रिसाव के प्रभाव को नियंत्रित करने में कामयाबी पाई है, लेकिन विशाखापट्टनम में आधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है. मृतकों में एक आठ वर्षीय लड़की और दो वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं. अस्पताल के अधिकारी अस्पताल में मौजूद एक बच्ची के माता-पिता की तलाश कर रहे हैं.

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आंध्र प्रदेश के डीजीपी गौतम सवांग ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वर्तमान में 246 लोग उपचाराधीन हैं, जबकि गंभीर हालत वाले 20 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया है. उन्होंने कहा, "अन्य अस्पतालों की रिपोर्ट्स से भी संकेत मिल रहे हैं कि भर्ती लोगों की हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. पानी स्टाइलरीन (गैस) के लिए एक एंटीडोट्स है और इसलिए गैस को बेअसर करने के लिए हवा में पानी का छिड़काव किया गया है."

डीजीपी सवांग ने कहा, "पूरे वेंकटपुरम गांव को खाली कराया गया. यहां से करीब 700 लोगों को निकाला गया. करीब 800 लोग अस्पताल में भर्ती हुए. हालांकि, उनमें से अधिकांश को छुट्टी दे दी गई है और अब लगभग 240 लोग ही वहां हैं." उन्होंने कहा, "घटना के कारणों की जांच चल रही है. फोरेंसिक टीम इस पर काम कर रही है." इस बीच विशाखापट्टनम के विभिन्न अस्पतालों में उपचाराधीन लोगों ने बताया कि गुरुवार तड़के लगभग 2.30 बजे जब गैस रिसाव शुरू हुआ, उस वक्त वे गहरी नींद में थे, और उन्होंने मृत्यु समान कष्ट महसूस किया.

केजी अस्पताल में भर्ती एक महिला ने कहा, "हमें एक अजीब गंध आई. क्या मैं जिंदा हूं या मर गई, यह एक बहुत ही असली एहसास था. मैंने लोगों और जानवरों को जमीन पर पड़ा देखा. मुझे नहीं पता कि मैं अस्पताल कैसे पहुंची." आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी ने अमरावती में अपने शीर्ष अधिकारियों के साथ एक आपात बैठक की. इसके बाद वह विशाखापट्टनम में चल रहे बचाव कार्यों की देखरेख के लिए व्यक्तिगत रूप से रवाना हुए.

इस दुर्घटना ने साल 1984 की भोपाल गैस त्रासदी की याद दिला दी है. विशाखापट्टनम की गलियों और अस्पतालों में लोग दहशत में नजर आए. सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन की शिकायत के बाद लोगों को विभिन्न अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. ग्रेटर विशाखापट्टनम नगर निगम के अधिकारियों ने कहा, "कोरोनावायरस महामारी की रोकथाम के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के कारण बंद हुई रासायनिक इकाई को गुरुवार सुबह फिर से शुरू किया गया. कुछ समय बाद टैंकों में संग्रहीत गैस लीक होने लगी और तीन किलोमीटर के दायरे में फैल गई."

अधिकारियों के अनुसार, "स्टाइरीन और पेंटाइन गैसें संभवत: दुर्घटना का कारण बनीं." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह इस बारे में सभी जानकारियां ले रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने हालात को भांपने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की एक आपातकालीन बैठक बुलाई है. राज्य के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं. जिला प्रशासन को तत्काल कदम उठाने और सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि उन्होंने गृह मंत्रालय के अधिकारियों से बात की है. अधिकारियों ने कहा, "रिसाव को बंद कर दिया गया है. यह गैस तेजी से फैलती है और इसलिए अब मरने वालों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना नहीं है." एलजी पॉलीमर भारत की पॉलीस्टाइन और एक्सपेंडेबल पॉलीस्टाइनिन की प्रमुख मैन्युफैक्च रर में से एक है. दक्षिण कोरियाई समूह एलजी केमिकल के हिस्से वाली मुंबई स्थित एलजी पॉलीमर इंडिया के पास विशाखापट्टनम स्थित संयंत्र का स्वामित्व है.