मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के शहडोल (Shahdol) में एक कुपोषण बच्ची की मौत हो गई. बच्ची को गर्म सलाखों के कई बार दागा गया था. इसके बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हालत ज्यादा खराब होने कारण बच्ची ने दम तोड़ दिया. शहडोल में दगना कुप्रथा आज खत्म होने का नाम नहीं ले रही है, जिसकी वजह से बच्ची की जान चली गई. ये भी पढ़ें- Bangalore: मां को जलाने के बाद गोद लिए बेटे ने पिता को दी जान से मारने की धमकी
मामला सिंहपुर के कठौतिया गांव का है. यहां अंधविश्वास के चक्कर में 3 माह की बीमार बच्ची को गर्म सलाखों से करीब 51 बार दागा गया. बच्ची ठीक तो नहीं हुई मगर, उसकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई. हालत गंभीर देख परिजन बच्ची को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे. यहां गंभीर हालत में बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई. परिवार ने बच्ची के शव को दफना दिया. मृत्यु के बाद दफनाए गए बच्ची के शव को फिर से बाहर निकलवाया गया है. शव का पोस्टमार्टम होगा. उसके बाद फिर से शव दफनाया जाएगा.
बताया जा रहा है कि मासूम बच्ची जन्म से ही कुपोषित थी. उसका कुपोषण ठीक हो जाए इसके लिए परिजनों ने मासूम को 51 बार गर्म सलाखों के दगवाया था. आदिवासी लोग जन्म के समय से कुपोषित बच्चों को अंधविश्वास के चलते गर्म लोहे से सलाखों के दागते हैं. यहां के लोगों का मानना है कि दगना प्रथा से बच्चों का कुपोषण ठीक हो जाएगा. मगर, ऐसा होता नहीं है. यह प्रथा बेहद दर्दनाक होती है. वहीं प्रशासन ने माना कि है बालिका को दागा गया था, लेकिन हालांकि प्रशासन के मुताबिक बच्ची की मौत निमोनिया से हुई है.