Lata Mangeshkar (1929-2022): तुम मुझे यूं, भुला ना पाओगे…
लता मंगेशकर का निधन (Photo: Twitter)

जमाना किसी का भी हो…. रुहानी और खनकती आवाज का जादू हर उम्र-हर वर्ग के लोगों के सिर चढ़ कर बोलता है. हम बात कर रहें हैं लीजेंड सिंगर भारत रत्न और Nightingale of India लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) की. आज लता दीदी भले ही इस दुनिया से रुखसत हो गईं हों, लेकिन उनकी मखमली आवाज हमेशा-हमेशा के लिए हमसब की रूह में उतर गई है. यह भी पढ़ें: Aye Mere Watan Ke Logon: लता मंगेशकर का ये गीत सुनकर रो पड़े थे पंडित नेहरु, जानिए गाने की दिलचस्प कहानी

गायकी के मुरीद PM मोदी भी

एक ऐसी शख्सियत जिनकी गायकी के मुरीद PM मोदी भी हैं, और यही कारण है कि वे प्रभावित होकर उनसे मिलने उनके घर तक पहुंच जाते हैं. स्वर कोकिला लता मंगेशकर को जितना प्यार देश से मिला, उतनी ही वे दुनियावालों की भी रहीं. लता जी को मशहूर होने के बाद तो सभी ने जाना, लेकिन मुफलिसी के दिनों में उन्होंने किस तरह दिन गुजारे, ये बहुत कम ही लोगों को पता है. उनके दिल की कसक इन गानों से बहुत अच्छी तरह बयां होता है…

कई उतार-चढ़ाव देखे

लता मंगेशकर, जो आज सभी की जुबान पर हैं, जिन्होंने बॉलीवुड की चमक-दमक से लेकर कई उतार-चढ़ाव देखे… सिनेमा जगत के गलियारों में कई सितारों को आते-जाते देखा. लेकिन लता मंगेशकर ने बॉलीवुड में जो जगह खुद के लिए बनाई, उसे कोई और नहीं भर पाएगा.

करीब 50 हजार गाने गाईं

अब शख्सियत बड़ी हैं तो उनसे जुड़े कई किस्से भी होंगे. जिसे हर कोई जानना चाहता है. लता मंगेशकर का बचपन का नाम हेमा था. लेकिन उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर के एक नाटक ‘भावबंधन’ में एक चरित्र लतिका से प्रभावित होकर उनका नाम लता कर दिया गया. करीब 50 हजार गाने गा चुकीं लता मंगेशकर के गाने ऐसे हैं, जैसे आज भी कहीं दूर से सुनाई दे तो मानों सूखे दरख्त भी हरे हो जाएं… यह भी पढ़ें: मेरी आवाज ही पहचान है... स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने दुनिया को कहा अलविदा, जानें उनकी जिंदगी के जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से

संगीतकारों की लाइन, जो कभी नहीं खत्म हुई

खेलने-कूदने की उम्र में लता जी के सिर से पिता का साया उठ गया…लेकिन भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं, इसलिए फर्ज के सामने आंखों के आंसू सूख गए…परिवार की जिम्मेदारी सिर पर थी, जिसके लिए उन्होंने फिल्में कीं, गानों में आवाज़ भी दीं…एक दिन ऐसा गुजरा, जब लता जी की पतली आवाज का हवाला भी दिया गया, लेकिन एक दिन वे सुरों की मल्लिका भी बनीं, फिर उनके सामने संगीतकारों की वो लाइन कभी नहीं खत्म हुई, जो उनके गायन के लिए हमेशा कतार में लगे रहे.

गुलाम अली खां लता जी के कायल

एक वक्त उस्ताद बड़े गुलाम अली खां (Ghulam Ali Khan) लता जी की आवाज के कायल थे. गुलाम साहब ने लता जी की स्नेहभरी प्रशंसा पंडित जसराज (Pandit Jasraj) के सामने भी की थी. ये वही गुलाम साहब, हैं जिसके सामने हर संगीत प्रेमी का सिर सम्मान में झुक जाया करता है.

ऐ मेरे वतन के लोगों…

सिर्फ संगीत प्रेमी ही नहीं, बल्कि उनकी गायकी को पसंद करने वाले हर-वर्ग के लोग शामिल हैं. बात तब कि है जब चीन के साथ 1962 के युद्ध के बीते एक साल ही हुए थे. 1963 में सैनिकों के बीच लताजी ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों! जरा आंख में भर लो पानी’ गाकर सुनाया…उस एक पल ने जैसे सुननेवालों के दिल को झकझोर कर रख दिया, हर किसी की आंखें भर आईं…तो ऐसी थीं लता जी.

जब पीएम मोदी हुए भावुक

इसके 50 साल बाद इस गीत की स्वर्ण जयंती सम्पन्न होने पर लता जी का यह गीत उन्हीं के मुख से सुनकर पीएम मोदी भी भावुक हो उठे. उन्होंने कहा- दीदी का यह गीत अमर है. पीएम ने कहा कि आप वास्तव में भारत रत्न हैं, आपके गायन की जितनी भी प्रशंसा की जाय,कम है.

मैं देश नहीं बिकने दूंगा

हाल ही में प्रसून जोशी के गीत मैं देश नहीं बिकने दूंगा को जब पीएम मोदी ने मंच से दुहाराया तो लोगों ने काफी पसंद किया। लेकिन जब उसे लता मंगेशकर ने आवाज दी तो गाने में चार चांद लग गई.

लता दीदी, मसला तो आपकी यादों का है…

लता दीदी, भले ही उदासी के ये वक्त निकल जाएं, मगर मसला तो आपकी यादों का है…आप हमारे ख्यालों में भी रहेंगी और दिल में भी…आपकी आवाजें हमने अपनी जिंदगी में उधार ली हैं, जिसकी याद में ब्याज भरती रहेंगी उम्र भर हमारी आंखें…