Shubh Mangal Zyada Saavdhan Movie Review: आयुष्मान खुराना (Ayushmann Khurrana) की मोस्ट अवैटेड फिल्म 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' (Shubh Mangal Zyada Saavdhan) आज दर्शकों के लिए रिलीज हो गई. हमेशा अपनी फिल्मों के माध्यम से एक विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर ऑडियंस का ध्यान आकर्षित करने वाले आयुष्मान इस बार एक समलैंगिक लव स्टोरी पर आधारित फिल्म लेकर आए हैं. फिल्म में उनके साथ जितेंद्र कुमार (Jitendra Kumar) लीड रोल में हैं. इसी के साथ 'बधाई हो' (Badhaai Ho) में आयुष्मान के माता-पिता का किरदार निभा चुके गजराज राव (Gajraj Rao) और नीना गुप्ता (Neena Gupta) लीड रोल में हैं. इस फिल्म को देखने से पहले हमारा ये रिव्यू जरूर पढ़ें.
निदेशक: हितेश केवल्या (Hitesh Kelwya)
रेटिंग्स: 3 स्टार्स
कहानी: समलैंगिक रिलेशनशिप पर आधारित फिल्म 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' कहानी है कार्तिक सिंह (आयुष्मान) और अमन त्रिपाठी (जितेंद्र) और उनके प्रेम की. एक साथ काम करने वाले अमन और कार्तिक एक सामन्य परिवार से आते हैं और इनकी जिंदगी भी सुखद है लेकिन इनके समलैंगिक होने के चलते उनका परिवार परेशान है और उन्हें इन दोनों के रिश्ते पर ऐतराज है. अब कार्तिक अमन के साथ मिलकर उनके परिवार को मनाने की जद्दोजहद में जुटा हुआ है. ऐसे में यहां अलग-अलग घटनाएं होती हैं जो समलैंगिकों के प्रति समाज को नजरिये को हास्यास्पद तरीके से दर्शाती है.
अभिनय: फिल्म में आयुष्मान ने अपनी एक्टिंग से बेहद इम्प्रेस किया है. अपने किरदार में पूरी तरह से ढले हुए आयुष्मान की डायलॉग डिलीवरी और अंदाज आपको खुश कर देगा. इसी के साथ बॉलीवुड डेब्यू करने वाले जितेंद्र भी अपने रोल के साथ न्याय करते हुए नजर आए. आयुष्मान के साथ उनकी जोड़ी भी काफी मनोरंजक नजर आती है. इनके अलावा गजराज राव जिस तरह से एक्सप्रेन्स देते हैं, डायलॉग्स बोलते हैं ये आपको खूब एंटरटेन करेगा. इन सबके अलावा फिल्म में जितेंद्र के चाचा के किरदार में नजर आए मनु ऋषि चड्ढा भी सपोर्टिंग रोल में खूब हंसाते हैं.
म्यूजिक: फिल्म में तनिष्क बागची और करण कुलकर्णी (Karan Kulkarni) का म्यूजिक काफी साधारण लगता है. फिल्म में पार्टी सॉन्ग्स और वेडिंग सीजन लायक गानें सुनने को मिलेंगे. इसके अलावा म्यूजिक के मामले में कोई ऐसा स्पेशल सॉन्ग नहीं जो आपके जहां में बस जाए.
फाइनल टेक: वैसे तो हितेश केवल्या निर्देशित ये फिल्म कॉमेडी से भरी है लेकिन इसी बीच ये समलैंगिक लोगों के संघर्ष को बड़ी ही खूबसूरती से दर्शाती है. किस तरह से समाज में इन्हें अपने परिवार और अन्य लोगों के आगे संघर्ष करना पड़ता है ये पेश किया गया है. फिल्म का विषय बेहद महत्वपुर्ण है और कलाकारों का काम काबिल-ए-तारीफ है. लेकिन फिल्म की स्टोरी सेटिंग और लेंथ की बात करें तो इन जगहों पर ये कम पड़ती है. फिल्म का पहला हिस्सा मनोरंजक है वहीं इंटरवल के बाद जिस तरह से कहानी आगे बढ़ती है ये थोड़ी लंबी जरूर लगती है. कुछ जगह ऐसे भी थे जहां छोटे सीन्स के साथ ही फिल्म की लेंथ को कम किया जा सकता था. फिल्म के निर्देशन और लेखन में भी कमियां नजर आती हैं. फिल्म की कहने वीक है और इसके चलते सिनेमाघरों में देखने में ये साधारण भी लगती है.
फिल्म का विषय बढ़िया और ये कॉमेडी से भरी है जिसके चलते आपको ये पसंद आ सकती है. अगर आप आयुष्मान खुराना के फैन हैं तो ये फिल्म आपको यकीनन पसंद आएगी. अन्यथा ये फिल्म आपको एक टिपिकल बॉलीवुड फिल्म के सामान ही नजर आएगी.