
Court Rejects Tanushree Dutta Plea: बॉलीवुड अभिनेत्री तनुश्री दत्ता को एक बड़ा झटका लगा है. मुंबई की एक अदालत ने शुक्रवार को उनके द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने दिग्गज अभिनेता नाना पाटेकर (Nana Patekar) को #MeToo मामले में मिली राहत को चुनौती दी थी. तनुश्री दत्ता ने साल 2018 में #MeToo आंदोलन के दौरान नाना पाटेकर पर 2008 की फिल्म हॉर्न ओके प्लीज (Horn Ok Pleassss) के एक गाने की शूटिंग के दौरान अनुचित व्यवहार करने का आरोप लगाया था. इसके बाद उन्होंने अक्टूबर 2018 में मुंबई के ओशिवारा पुलिस स्टेशन में नाना पाटेकर और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी.
हालांकि, जांच अधिकारी द्वारा मामले की विस्तृत जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि नाना पाटेकर सहित किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला. इसके आधार पर मुंबई पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसमें एफआईआर को झूठा और दुर्भावनापूर्ण बताया गया था.
अदालत ने क्यों खारिज की याचिका?
तनुश्री दत्ता ने 5 दिसंबर 2019 को इस क्लोजर रिपोर्ट का विरोध करते हुए दोबारा जांच और कानूनी कार्रवाई की मांग की थी. लेकिन सुनवाई के दौरान अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 468 का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी अपराध को दर्ज करने की एक समयसीमा होती है.
न्यायाधीश ने बताया कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354, जो किसी महिला की मर्यादा भंग करने से संबंधित है, में अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान है. 2013 के संशोधन से पहले, इस अपराध के लिए संज्ञान लेने की समयसीमा तीन साल थी. चूंकि यह कथित घटना मार्च 2008 में हुई थी और शिकायत अक्टूबर 2018 में दर्ज की गई थी, इसलिए मामला समय सीमा से बाहर था.
कोर्ट ने कहा कि इस देरी को माफ करने के लिए राज्य सरकार या तनुश्री दत्ता द्वारा कोई आवेदन दाखिल नहीं किया गया, जिसके कारण अदालत इस मामले को आगे नहीं बढ़ा सकती. अदालत के इस फैसले के बाद नाना पाटेकर को बड़ी राहत मिली है, जबकि तनुश्री दत्ता के लिए यह झटका साबित हुआ है. अभी यह साफ नहीं है कि वह इस फैसले को चुनौती देंगी या नहीं. बॉलीवुड और कानूनी गलियारों में इस फैसले को लेकर चर्चा जारी है.