Pyar Ke Do Naam Review: 'प्यार के दो नाम' एक हटकर और खूबसूरत लव स्टोरी, आज के युवाओं को देती है खास संदेश!
Pyar Ke Do Naam Review - Bhavya Sachdeva (Photo Credits: Instagram)

Pyar Ke Do Naam Review: हिंदी सिनेमा में वैसे तो प्रेम कहानियों की कमी नहीं है. पर आज सिनेमाघरों में रिलीज हुई फिल्म 'प्यार के दो नाम' उन सब प्रेम कहानियों से अलग है. फिल्म की कहानी दो तरह की सोच को उजागर करती है और आज के युवाओं को एक खास संदेश देती है. इस फिल्म को टीवी शोज के राइटर दानिश जावेद ने डायरेक्ट किया है. फिल्म में कई ट्विस्ट और टर्न भी देखने मिलेंगें जो आपको फिल्म से आखिर तक सीट से बांधे रखेंगे. फिल्म में भव्या सचदेवा, अंकिता साहू, कनिका गौतम अचल टकवाल प्रमुख भूमिकाओं में हैं. फिल्म को जोकुल एंटरटेनमेंट और रिलायंस एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनाया गया है. फिल्म के निर्माता विजय गोयल और दानिश जावेद है. Gabru Gang Review: रोमांचक प्लॉट और ड्रामा से सजी है 'गबरू गैंग', Abhishek Duhan ने अपनी दमदार एक्टिंग से किया इम्प्रेस!

फिल्म की कहानी शुरु होती है कबीर सिंह और साइमा के साथ, ये दोनों अलग-अलग धर्म से हैं पर एक दूसरे से बेइंतहां मोहब्बत करते हैं. साथ ही ये दोनों अलीगढ़ विश्वविद्यालय के स्टूडेंट भी हैं. अब विश्वविद्यालय में एक शांति सेमिनार होने जा रहा है, जिसमें हिस्सा लेंगे आर्यन खन्ना जो कि साउथ अफ्रीका से आ रहे हैं और भारत से कायरा सिंह. इन दोनों के मेहमान नवाजी की जिम्मेदारी कबीर और साइमा को सौंपी जाती है. कायरा की मां के साथ ऐसा कुछ घटा था कि उससे विचलित होकर कायरा किसी से प्यार नहीं करना चाहती. उसका कहना है कि जो उससे पहली बार छुएगा वहीं उसे आखिरी बार भी छुएगा. कायरा और आर्यन के रूम आमने सामने होते हैं विश्वविद्यालय और कायरा आर्यन को अपना दिल दे बैठती है और जब वह उसे प्रपोज करने के लिए कमरे में जाती है तो ऐसा कुछ होता है कि सबकुछ बदल जाता है और कायरा के पैरो तले जमीन खिसक जाती है. आर्यन की सोच कायरा से एक दम उलट, जब तक प्यार है साथ रहो जब नहीं तो अलग हो जाओ. क्या कायरा और आर्यन मिल पाएंगे और इनमें से प्रतियोगिता की टॉफी कौन जीतेगा यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.

फिल्म में भव्या सचदेवा ने अपनी शानदार एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीता है. वहीं अंकिता साहू ने इमोशनल सीन्स बाखूबी निभाएं हैं. इसके अलावा कनिका गौतम और अचल टंकवाल अपने अपने किरदार में फिट बैठे हैं. साथ ही कनिका की चंचलता आपको खास पसंद आने वाली है.

'इश्क शुभान अल्लाह', 'सूफियाना प्यार मेरा' और 'सन्यासी मेरा नाम' जैसे टीवी शोज लिखने वाले लेखक दानिश जावेद ने 'प्यार के दो नाम' के डायरेक्शन की कमान संभाली है. उन्होंने एक लव स्टोरी को नया रूप दिया है. महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला के विचारों और उनके जीवन को आज की पीढ़ी पर लागू किया है, जोकि एक उम्दा प्रयास हैं. फिल्म में कई ट्विस्ट और टर्न भी हैं जो आपको फिल्म के साथ आखिर तक जोड़े रखते हैं. Baahubali - Crown of Blood Trailer: 'बाहुबली' की अनदेखी कहानियों का होगा खुलासा, एनिमेटेड सीरीज 'बाहुबली - क्राउन ऑफ ब्लड' का ट्रेलर हुआ रिलीज (Watch Video)

हालांकि फिल्म में कुछ खामियां भी हैं जैसे कि फिल्म की लंबाई को और कम किया जा सकता था साथ ही इसकी डबिंग पर और ध्यान देने की आवश्यक्ता थी. बावजूद इसके यह फिल्म एक अच्छे संदेश के साथ समाप्त होती है और प्यार की नई परिभाषा सिखाती है. अगर इस हप्ते आप कोई फिल्म देखना चाहते हैं तो 'प्यार के दो नाम' आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है आप इसे अपने परिवार के साथ देख सकते हैं. मेरी तरफ से इस फिल्म को 5 में से 3 स्टार.

Rating:3out of 5