Bastar Review: निर्देशक सुदीप्तो सेन की फिल्म 'बस्तर: द नक्सल स्टोरी' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. 'द केरला स्टोरी' के बाद वो इस बार नक्सलवाद के मुद्दे को पर्दे पर लाए हैं. फिल्म में अदा शर्मा मुख्य भूमिका में हैं, जो निष्ठावान IPS अधिकारी नीरजा मधवन का किरदार निभा रही हैं. उनके साथ यशपाल शर्मा और राइमा सेन भी अहम भूमिकाओं में हैं. वहीं, शिल्पा शुक्ला को फिल्म में एक वकील के रूप में दिखाया गया है. फिल्म बस्तर के जंगल की कहानी है जहां नक्सलवाद की हुकूमत है. Shaitaan Review: अजय देवगन की 'शैतान' विजुअली शानदार पर कहानी है कमजोर, खीच-तान अधिक!
कहानी
फिल्म की कहानी शुरु होती है नीरजा माधवन (अदा शर्मा) के साथ जोकि हॉस्पिटल में हैं और प्रेग्नेंसी का चेकअप करा रही हैं. इसके बाद वे अपनी ड्यूटी पर तैनात हो जाती हैं. उनके जीवन का लक्ष्य है बस्तर से नक्सलवाद का सफाया करना, इसके लिए उन्हें कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, यहां तक उन्हें होने वाला बच्चा भी खोना पड़ जाता है. पर क्या नीरजा बस्तर से नक्सलवाद का सफाया कर पाती हैं यह सरकारी तामझाम में उलझकर रह जाती हैं? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी चाहिए.
अदाकारी और संगीत
फिल्म में आदा शर्मा और यशपाल शर्मा की एक्टिंग ठीक लगी है. दोनों कलाकारों ने अपने किरदारों के साथ पूरा न्याय किया है. इसके साथ सपोर्टिंग कास्ट अपने अपने किरदारों के साथ उलझते दिखे. बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म के माहौल को बनाए रखने में मदद करता है.
पटकथा में कमी
हालांकि, फिल्म की कहानी दर्शकों को बांधे रखने में थोड़ी कमजोर साबित होती है. कहानी में नक्सलवाद की जटिलताओं को दिखाने कीकोशिश की गई है, पर पूरी तरह से सफल नहीं रहे. कहीं-कहीं तो प्रभावशाली लगती है. वहीं, फिल्म में जलाने के दृश्य और खून-खराबा काफी ज्यादा है. जो कभी कभी आपको लगेगा कि इसकी हर बार जरूरत नहीं है.
निष्कर्ष
कुल मिलाकर 'बस्तर: द नक्सल स्टोरी' एक औसत फिल्म है. फिल्म यथार्थ के कुछ अंशों को तो छूती है, लेकिन कमजोर पटकथा इसे ऊंचाइयों तक नहीं पहुंचने देती है. अगर आप एक दमदार कहानी की तलाश में हैं तो ये फिल्म आपको निराश कर सकती है, लेकिन अगर आप नक्सलवाद के मुद्दे पर एक अलग नजरिया देखना चाहते हैं तो इसे एक मौका दिया जा सकता है.