
Tumko Meri Kasam Review: विक्रम भट्ट के निर्देशन में बनी 'तुमको मेरी कसम' एक भावनात्मक और रोमांचक फिल्म है, जिसमें प्यार, संघर्ष और न्याय की तलाश को बखूबी दिखाया गया है. यह फिल्म भारत के प्रसिद्ध IVF विशेषज्ञ डॉ. अजय मुरडिया के जीवन से प्रेरित है, जिन्होंने कई मुश्किलों का सामना करते हुए इंदिरा IVF की स्थापना की. लेकिन कहानी में तब बड़ा मोड़ आता है जब उन पर एक हत्या का गंभीर आरोप लगता है. क्या वो खुद को निर्दोष साबित कर पाएंगे? यही सवाल दर्शकों को आखिर तक फिल्म से जोड़े रखता है. फिल्म में अनुपम खेर, इश्वाक सिंह और अदा शर्मा जैसे कलाकार प्रमुख भूमिकाओं में हैं और आज यह फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है.
कहानी
फिल्म की कहानी डॉ. अजय मुरडिया (युवा किरदार में इश्वाक सिंह, वर्तमान में अनुपम खेर) के सफर को दर्शाती है, जिन्होंने अपने संघर्षों के बावजूद भारत की सबसे बड़ी IVF चेन बनाई. लेकिन उनके जीवन में भूचाल तब आता है जब उन पर हत्या का झूठा आरोप लगाया जाता है. उनकी पत्नी इंदिरा (अदा शर्मा) हर हाल में उनका साथ देती हैं, वहीं कोर्टरूम में उनकी लड़ाई लड़ने के लिए ईशा देओल एक तेजतर्रार वकील के रूप में एंट्री लेती हैं. केस की सुनवाई के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे होते हैं, जो कहानी को लगातार रोमांचक बनाए रखते हैं.
देखें 'तुमको मेरी कसम' ट्रेलर:
अभिनय
अनुपम खेर ने अपने दमदार अभिनय से यह साबित किया कि वह अब भी अपने किरदार में जान डालने की क्षमता रखते हैं, जबकि इश्वाक सिंह ने युवा अजय मुरडिया के रूप में बेहतरीन प्रदर्शन किया है और उनकी मेहनत साफ नजर आती है. अदा शर्मा ने एक सपोर्टिव पत्नी की भूमिका को पूरी ईमानदारी से निभाया है, जो हर मुश्किल में अपने पति का साथ देने के लिए तैयार रहती है. वहीं, ईशा देओल की प्रभावशाली वापसी कोर्टरूम सीन में उनके आत्मविश्वास और दमदार डायलॉग डिलीवरी के कारण और भी खास बन जाती है, जो फिल्म का एक बड़ा प्लस पॉइंट साबित होता है. सहायक कलाकारों में सुशांत सिंह और मेहरजान बी माजदा ने भी अपनी भूमिकाओं को बखूबी निभाया है.
निर्देशन और तकनीकी पक्ष
विक्रम भट्ट ने फिल्म को बेहतरीन तरीके से निर्देशित किया है. कहानी का फ्लो मजबूत है, और कोर्टरूम ड्रामा दर्शकों को बांधे रखता है. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक और सिनेमैटोग्राफी कहानी को और प्रभावी बनाते हैं. खासकर कोर्टरूम सीन में कैमरा एंगल और लोकेशन का बेहतरीन उपयोग किया गया है.
कमियां
कुछ जगहों पर फिल्म की गति धीमी पड़ जाती है, खासकर पहले हाफ में कुछ सीन खिंचे हुए लगते हैं.
कोर्टरूम ड्रामा जितना दमदार होना चाहिए था, उसमें थोड़ी और गहराई जोड़ी जा सकती थी.
क्लाइमैक्स थोड़ा प्रेडिक्टेबल है, जिससे सस्पेंस का असर हल्का पड़ता है.
फाइनल वर्डिक्ट
'तुमको मेरी कसम' एक अच्छी फिल्म है, जिसमें इमोशंस, कोर्टरूम ड्रामा और दमदार परफॉर्मेंस का जबरदस्त मेल देखने को मिलता है. विक्रम भट्ट की शानदार स्टोरीटेलिंग, अनुपम खेर की उम्दा अदाकारी और मजबूत स्क्रीनप्ले इसे एक बार जरूर देखने लायक फिल्म बनाते हैं. अगर आप सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्में और इंसाफ की लड़ाई वाली कहानियां पसंद करते हैं, तो यह फिल्म आपको जरूर पसंद आएगी.