इस सदी में ‘प्राण’ जैसा दूसरा कलाकार पैदा नहीं हुआ: मनोज कुमार
प्राण और मनोज कुमार (Photo Credits: Instagram)

अभिनेता प्राण (Pran) किसी समय हिंदी सिनेमा (Hindi cinema) के सबसे खूंख्वार खलनायक हुआ करते थे. उनकी आंखों में जो दहशत होती थी, उसके बाद उन्हें किसी स्क्रिप्ट की जरूरत नहीं होती थी. लेकिन कहावत मशहूर है कि अच्छे कलाकार के लिए उसकी इमेज बाधक नहीं बन सकती. निर्माता, निर्देशक, एक्टर और स्क्रिप्ट रायटर मनोज कुमार ने प्राण को अपनी फिल्म ‘उपकार’ (Upkar) में मलंग बाबा का किरदार करने का मौका दिया.

यह फिल्म तो हिट हुई ही, साथ ही प्राण साहब को भी खलनायकी की कैद से हमेशा के लिए आजादी मिल गयी. आज 12 जुलाई को अभिनेता प्राण की पुण्यतिथि के अवसर पर मनोज कुमार (Manoj Kumar) स्वर्गीय प्राण साहब के साथ गुजरे कुछ अहम पलों को यहां शेयर कर रहे हैं...

‘प्राण साहब के साथ मेरी पहली फिल्म ‘दो बदन’ थी. उस समय उनकी इमेज एक खूंख्वार विलेन की होती थी. ‘दो बदन’ के बाद ‘गुमनाम’, ‘पत्थर के सनम’ और ‘शहीद’ जैसी कई फिल्में हमने साथ में की. प्राण साहब निजी जिंदगी में बेहद सभ्य और सज्जन इंसान थे. लिहाजा मेरे साथ उनका अच्छा रेपो हो गया था. चूंकि मेरे भीतर एक कथाकार और निर्देशक भी था, लिहाजा मुझे लगता कि अगर प्राण साहब को कोई इमोशनल भूमिका करें तो उस पर भी वे अपना जादुई प्रभाव डाल सकते हैं. यद्यपि राज कपूर साहब ने उन्हें फिल्म ‘आह’ में एक ऐसी ही भूमिका दी थी, लेकिन ‘आह’ के फ्लॉप होने के बाद उन्होंने प्राण साहब पर दुबारा रिस्क नहीं लिया. संयोगवश उन्हीं दिनों मैं फिल्म ‘उपकार’ की पटकथा लिख रहा था. इस फिल्म के लिए मुझे मलंग बाबा के लिए एक अच्छे कलाकार की जरूरत थी. फिल्म की पूरी कहानी मलंग बाबा के इर्द-गिर्द ही घूमती थी.

मैंने प्राण साहब से पूछा कि क्या वे मेरी फिल्म में मलंग बाबा का रोल करेंगे? प्राण साहब जो मुझे प्यार से ‘पंडित जी’ कहते थे. उऩ्होंने मेरी तरफ देखा, और कहा ‘पंडित जी’ लाइये आपकी स्क्रिप्ट पढ़ लूं, स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद उन्होंने मेरी तरफ हंसते हुए देखा, कहा, -पंडित स्क्रिप्ट और मलंग का किरदार बहुत ही खूबसूरत है, मगर एक बार सोच लो, क्योंकि मेरी इमेज खूंख्वार बलात्कारी, शराबी, जुआरी आदि की है. क्या दर्शक मुझे मलंग बाबा जैसे रोल में बर्दाश्त कर सकेंगे? लेकिन पता नहीं क्यों मेरे भीतर के निर्देशक ने मन ही मन में प्राण साहब को मलंग बाबा के किरदार के लिए फाइनल कर लिया था. मैंने फिल्म शुरू की. दर्शकों को पहले शो से फिल्म तो पसंद आई ही, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा भाया मलंग के रूप में प्राण साहब का काम.

प्राण साहब की दरियादिली के किस्से पूरी इंडस्ट्री जानती थी, लेकिन ‘उपकार’ के सेट पर शूटिंग करते वक्त कुछ ऐसी बात हुई, जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता. दरअसल हम मुंबई के एक स्टूडियों में प्राण साहब पर एक्शन सीन फिल्मा रहे थे. प्राण साहब समय के बहुत पाबंद इंसान थे. सेट पर वह मुझसे भी पहले पहुंच जाते थे, और अपने किरदार पर कड़ी मशक्कत करते थे.

एक दिन जब प्राण साहब सेट पर पहुंचे तो मुझे लगा वे कुछ अपसेट से हैं. मैंने उनसे पूछा, प्राण साहब, तबियत तो ठीक है ना! उन्होंने हौले से मुस्कुराते हुए कहा, मैं एकदम फिट और अच्छा हूं. उस दिन मैंने प्राण साहब पर पूरे दिन एक्शन सीन शूट किये. रात आठ बजे जब पैकअप हुआ तो मैंने दुबारा देखा कि प्राण साहब सामान्य नहीं हैं. मैं उनके मेकअप रूम में पहुंचा, और पूछा, -प्राण साहब आप कुछ छिपा रहे हैं, आप नॉर्मल नहीं हैं आज. मुझे बताइये क्या बात है? प्राण साहब ने कहा, नहीं कुछ नहीं, कल शाम मेरी बड़ी बहन की अचानक मृत्यु हो गयी थी, उस चक्कर में मैं पूरी रात सो नहीं सका था. प्राण साहब ने इतनी बड़ी बात इतनी सहजता से कह दी, मैं तो दंग ही रह गया. क्योंकि मुझे पता था कि प्राण साहब अपनी बड़ी बहन को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करते थे.

मैंने उनसे कहा, - इतना बड़ा हादसा हो गया और आपने मुझे बताने की जरूरत भी नहीं समझी. आप फोन भी कर देते तो मैं शूटिंग कैंसिल कर देता. जवाब में प्राण साहब ने कहा, मैं हरगिज नहीं चाहता कि मेरी वजह से आप फिल्म का शेड्यूल बिगाड़ें, बड़ी मुश्किल से आपने इतने सारे कलाकारों को एक साथ जुटाया होगा, मेरी वजह से फिल्म को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होना चाहिए.

प्राण साहब ने समय से पूर्व रिटायरमेंट ले लिया था. वह कुछ दिन और काम करना चाहते थे, मगर उस समय के सितारों के नखरों और घंटों लेट आने की प्रथा से वे बहुत व्यथित थे. एक बार बहुत दुखित होकर उन्होंने कहा था, आज के स्टार्स को न समय की वैल्यू है न उनमें संयम है. मैं अब और काम नहीं कर सकता. उन्होंने समय से पूर्व इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया था. प्राण साहब जैसे कलाकार इस सदी में दूसरा कोई हो ही नहीं सकता.’