देश की खबरें | ‘भारत सरकार समयसीमा का पालन क्यों नहीं कर सकती’: न्यायालय ने याचिका दायर करने में देरी पर कहा

नयी दिल्ली, तीन जनवरी सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) सहित सरकारी प्राधिकारियों से अपील दायर करने में अत्यधिक देरी को लेकर आत्मनिरीक्षण करने को कहा।

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने एनएचएआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “मुझे लगता है कि लगभग 95 प्रतिशत मामलों में सभी लोग समय-सारिणी का पालन कर रहे हैं। भारत सरकार इसका पालन क्यों नहीं कर पा रही है? कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है...आत्मनिरीक्षण जरूरी है।”

एनएचएआई ने दिवालियापन मामले में राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को चुनौती दी थी, जिसे न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था।

एनसीएलएटी ने देरी के कारण एनएचएआई की अपील खारिज कर दी थी।

प्रधान न्यायाधीश ने 295 दिनों की देरी पर असहमति जताते हुए प्रक्रियागत समयसीमा का पालन करने के महत्व पर बल दिया और कहा कि एनएचएआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से सहमति जताते हुए इस मुद्दे को सुलझाने का आश्वासन दिया है।

मेहता ने कहा, “मैं अध्यक्ष से बात करने का वचन देता हूं। उन्हें जांच करने दीजिए कि सुस्ती या अन्य कोई कारण क्यों था।”

यह मामला दिवाला एवं दिवालियापन संहिता की कार्यवाही से संबंधित है, जिसमें एनएचएआई ने उसकी सहमति के बिना स्वीकृत समाधान योजना को चुनौती दी थी।

प्रशांत अविनाश

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