देहरादून, चार मई उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाएं लगातार सामने आने के बीच नवनियुक्त वन बल प्रमुख धनंजय मोहन ने शनिवार को विभाग के अधिकारियों से आग लगने संबंधी सूचनाओं पर प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई करने और प्रतिक्रिया समय को कम करने के निर्देश दिये।
उत्तराखंड में शनिवार को जंगल में आग लगने की 18 घटनाएं हुईं, जिसमें 21.86 हेक्टेयर वन जलकर खाक हो गए।
जलते जंगलों से उठते धुएं के कारण नैनी-सैनी हवाई अड्डे के आसपास दृश्यता कम होने के चलते सीमावर्ती जिले के पिथौरागढ़ और मुनस्यारी कस्बों के लिए हवाई सेवाएं शनिवार को दूसरे दिन भी निलंबित रहीं।
अधिकारियों ने कहा कि हवाई अड्डे और उसके आसपास दृश्यता 1000 मीटर से कम रही, जबकि हवाई यात्रा संचालन के लिए कम से कम 5,000 मीटर होना आवश्यक है।
मोहन ने राज्य में वनाग्नि की स्थिति की समीक्षा करने के लिए अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने मुख्य वन संरक्षक और प्रभागीय वन अधिकारियों को मुख्य रूप से लंबी अवधि से जंगल में लगी आग पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा।
मोहन ने उनसे अपने क्षेत्रों में अग्निशमन कार्यों में स्थानीय लोगों को शामिल करने के प्रयास की सलाह दी, ताकि आग फैलने से पहले ही उसे बुझाया जा सके।
मोहन ने समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि घटना की सूचना मिलने पर तत्काल कार्रवाई करने पर मुख्य रूप से जोर दिया गया है।
उन्होंने अधिकारियों से उन लोगों के खिलाफ वन अधिनियम के तहत कार्रवाई करने को भी कहा, जो अपने मवेशियों के लिए ताजी घास पाने के लिए जानबूझकर जंगल में आग लगाते हैं या खुले में कूड़ा या पराली जलाते हैं।
जंगल में आग लगने की घटनाओं के कारण पिछले साल नवंबर से पूरे उत्तराखंड में 1,000 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि को नुकसान पहुंचा है।
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