Maharashtra: किशोरी से बलात्कार के मामले में तीन व्यक्तियों को 10 साल सश्रम कारावास की सजा

ठाणे, 30 नवंबर : महाराष्ट्र के ठाणे में एक पॉक्सो अदालत ने 13 वर्षीय किशोरी को मादक पदार्थ देने और उससे बलात्कार करने को लेकर तीन व्यक्तियों को 10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई तथा कहा कि समाज को यह संदेश जाना चाहिए कि इस तरह के मामलों में दोषियों से सख्ती से निपटा जाता है. अभियोजक ने बताया कि घटना के कारण पीड़िता इस कदर परेशान हो गई कि उसके व्यवहार में काफी बदलाव आ गया और ऐसे में उसे चिकित्सकीय सहायता तथा अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी. यौन अपराधों से बच्चों का सरंक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत गठित विशेष अदालत के न्यायाधीश डीएस देशमुख ने तीनों दोषियों अजीत पाठक (29), आदिल जावेद शेख (31) और आदिल अली खान उर्फ कश्मीरी (29) पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. यह राशि पीड़िता को मुआवजे के तौर पर दी जाएगी, जो अक्टूबर-दिसंबर 2017 में हुई घटना के समय 13 वर्ष नौ माह की थी.

अदालत ने इस मामले में फैसला 27 नवंबर को सुनाया, जिसकी प्रति शुक्रवार को उपलब्ध हुई. विशेष लोक अभियोजक विवेक कडू ने अदालत को बताया कि जनवरी 2018 को सऊदी अरब से लौटे पीड़िता के पिता ने पाया कि वह परेशान रह रही है. मूल रूप से बिहार के रहने वाले पीड़िता के माता-पिता उसे एक मनोचिकित्सक के पास ले गए, जहां पता चला कि उसे नशे की लत लग गई है. कडू ने बताया कि इसके बाद पीड़िता को ठाणे में मीरा रोड के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. अभियोजक के कहा, ‘‘अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान पीड़िता ने बताया कि उसके एक परिचित व्यक्ति ने तीन माह तक उससे दुष्कर्म किया और उसे मादक पदार्थ दिया. परिचित व्यक्ति और दो अन्य लोगों ने कई बार पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया.’’ किशोरी के पिता द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराये जाने के बाद पुलिस ने 21 अगस्त 2018 को तीनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और पॉक्सो अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया. यह भी पढ़ें : शिमला के पूर्व उप महापौर ने रिज क्षेत्र में वाहनों की पार्किंग के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई

अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘आरोपियों ने किशोरी को इंजेक्शन के जरिये मादक पदार्थ देकर उसके साथ बार-बार दुष्कर्म किया. आरोपियों का अपराध जघन्य है. अगर उन्हें कम सजा दी गई तो समाज में गलत संदेश जाएगा. मामले की गंभीरता को देखते हुए अधिनियम के अनुसार अधिकतम सजा दी जा रही.’’ न्यायाधीश ने कहा कि आरोपियों को उनके कृत्य के अनुरूप सजा मिलनी चाहिए तथा समाज को स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि ऐसे मामलों में दोषियों से सख्ती से निपटा जाता है. यह मामला, 2019 में पॉक्सो अधिनियम में संशोधन से पहले के प्रावधानों के तहत आता है. अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘संबंधित कानून में 10 साल से कम की सजा का प्रावधान नहीं है और सजा आजीवन कारावास तक बढ़ाई जा सकती है तथा जुर्माना भी लगाया जा सकता है.’’