नयी दिल्ली, 13 जून अनुसंधान के माध्यम से कृषि उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बृहस्पतिवार को अधिकारियों को देश के 113 अनुसंधान संस्थानों के प्रदर्शन का आकलन करने और उनके उद्देश्यों को प्राप्त करने में अंतराल की पहचान करने का निर्देश दिया।
कृषि मंत्रालय और अनुसंधान निकायों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए चौहान ने कहा, ‘‘हमें यह आकलन करना चाहिए कि क्या हमारे अनुसंधान संस्थानों का नेटवर्क अपेक्षित परिणाम देने में सक्षम है, क्या यह ठीक से काम कर रहा है या नहीं... यदि अंतराल हैं, तो एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए।’’
मंत्री ने वर्ष 2047 तक कृषि उत्पादकता और आय बढ़ाने के लिए स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करने पर जोर दिया। उस समय भारत अपनी आजादी के 100 साल पूरे करेगा। उन्होंने इन लक्ष्यों के मुकाबले प्रगति की निगरानी करने के लिए वार्षिक समीक्षा का आह्वान किया।
चौहान ने देश के अन्य हिस्सों की तुलना में झारखंड के सिंचित और असिंचित क्षेत्रों में कम उत्पादकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने उत्पादकता के इस अंतर को पाटने के लिए अभियान शुरू करने का सुझाव दिया।
मंत्री ने अधिकारियों को उत्पादकता, किसानों की आय बढ़ाने और उत्पादन लागत को कम करने को लेकर अनुसंधान प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया। उन्होंने किसानों के विभिन्न वर्गों के बीच पोषक तत्व से संवर्धित फसल किस्मों को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया।
बैठक में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री रामनाथ ठाकुर और भागीरथ चौधरी, कृषि सचिव मनोज आहूजा और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव तथा आईसीएआर के महानिदेशक हिमांशु पाठक शामिल हुए।
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