कोच्चि, 11 जनवरी केरल के कोच्चि में अंगमाली-एर्नाकुलम आर्चडायोसिस के बिशप हाउस के बाहर तनावपूर्ण माहौल बन गया, जब पुलिस ने शनिवार को वहां से कई पादरियों को हटा दिया, जो एक चर्च प्रशासक द्वारा जारी कुछ दस्तावेजों को वापस लेने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन पर थे।
मतावलंबियों और पादरियों ने पुलिस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने मीडिया के समक्ष दावा किया कि शनिवार सुबह पुलिस ने प्रदर्शनकारी पादरियों को जबरन बिशप हाउस से बाहर निकाला। टीवी चैनलों पर दिखाए गए दृश्यों से यह भी पता चलता है कि पुलिस कार्रवाई में कुछ प्रदर्शनकारी पादरी घायल हुए हैं।
इसके बाद, बड़ी संख्या में मतावलंबी और पादरी सेंट मैरी बेसिलिका पहुंचने लगे, जहां प्रदर्शनकारी पादरियों को स्थानांतरित कर दिया गया था और बड़ी संख्या में पुलिस भी वहां देखी गई।
अंगमाली-एर्नाकुलम आर्चडायोसिस मुख्यालय के बाहर मतावलंबियों की पुलिस के साथ तीखी बहस भी हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि एर्नाकुलम के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) सी जयकुमार ने कहा है कि सरकार अंगमाली-एर्नाकुलम आर्चडायोसिस के खिलाफ है।
एसीपी ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि मीडिया की सुर्खियों के लिए आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम अभी भी उनके साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने और इसे हल करने के लिए तैयार हैं।’’
शुक्रवार को अंगमाली-एर्नाकुलम आर्चडायोसिस मुख्यालय में अराजक दृश्य देखने को मिले, जब आर्चडायोसिस की नवगठित इकाई ‘क्यूरिया’ को बर्खास्त करने की मांग को लेकर पादरियों के एक वर्ग ने विरोध-प्रदर्शन किया।
‘क्यूरिया’ ऐसी इकाई है, जो चर्च को सुचारू रूप से और कुशलतापूर्वक चलाने में मदद करती है।
यह झड़प बृहस्पतिवार को तब शुरू हुई, जब 21 पादरियों ने आर्चबिशप के घर पर उपवास प्रार्थना शुरू कर दी। विरोध करने वाले पादरी आर्चडायोसिस प्रोटेक्शन कमेटी (अतिरूपथ संरक्षण समिति) के हैं।
आर्चडायोसिस प्रोटेक्शन कमेटी की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने अपोस्टोलिक प्रशासक बोस्को पुथुर द्वारा जारी किए गए दस्तावेजों को वापस लेने की मांग की है, जिसमें ‘‘स्वीकृत नियमों और नागरिक कानूनों दोनों का उल्लंघन करते हुए पादरियों को अनुचित तरीके से निलंबित किया गया है।’’
इस बीच, साइरो-मालाबार चर्च साइनोड ने प्रदर्शनकारी पादरियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया है।
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