तिरुवनंतपुरम, एक जनवरी केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बुधवार को कहा कि राज्य के मंदिरों में प्रवेश करने से पहले पुरुष श्रद्धालुओं को कमर से ऊपर के कपड़े उतारने की लंबे समय से जारी प्रथा को देवस्वम बोर्ड समाप्त करने की योजना बना रहा है।
बोर्ड का यह निर्णय संत एवं समाज सुधारक श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित प्रसिद्ध शिवगिरि मठ के प्रमुख स्वामी सच्चिदानंद के बयान के बाद आया है। उन्होंने मंगलवार को शिवगिरि तीर्थयात्रा सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान इस प्रथा को एक सामाजिक बुराई बताया था तथा इसके उन्मूलन का आह्वान किया था।
सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री ने स्वामी सच्चिदानंद के आह्वान का समर्थन किया था और कहा था कि इस तरह के कदम को सामाजिक सुधार में एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप के रूप में देखा जा सकता है।
विजयन ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में इस मामले पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘देवस्वम बोर्ड के एक प्रतिनिधि ने आज मुझसे मुलाकात की। उन्होंने कहा कि वे यह निर्णय लेने जा रहे हैं। मैंने कहा कि यह अच्छा है...बहुत अच्छा सुझाव है।’’
हालांकि, मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया कि कौन सा देवस्वम बोर्ड इस निर्णय को लागू करने वाला है।
केरल में पांच प्रमुख देवस्वम बोर्ड हैं- गुरुवयुर, त्रावणकोर, मालाबार, कोचीन और कूडलमाणिक्यम, जो सामूहिक रूप से लगभग 3,000 मंदिरों का प्रबंधन करते हैं।
विजयन ने कहा कि सच्चिदानंद स्वामी ने ही इस प्रथा को समाप्त करने का आह्वान किया था और केवल उन्होंने (मुख्यमंत्री ने) बाद में अपने भाषण में इसका समर्थन किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि श्री नारायण गुरु से जुड़े मंदिर इस प्रथा को समाप्त करेंगे।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की इस मामले पर चर्चा की मांग के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इस पर चर्चा होने दीजिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह देवस्वम बोर्ड द्वारा किया जाना चाहिए, न कि सरकार द्वारा।’’
स्वामी ने अपने भाषण में कहा था कि अतीत में कमर से ऊपर के कपड़े उतारने की प्रथा यह सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई थी कि पुरुषों ने "पूनूल" (ब्राह्मणों द्वारा पहने जाने वाला जनेऊ) पहना है, या नहीं।
उन्होंने यह भी कहा था कि यह प्रथा श्री नारायण गुरु के उपदेशों के विरुद्ध है और यह देखकर दुख होता है कि इस सुधारक संत से जुड़े कुछ मंदिर अब भी इसका पालन कर रहे हैं।
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