The Jaguar Land Rover Story: अपमान का बदला लेने के लिए Ratan Tata ने खरीद ली कंपनी! Ford को ऐसे दिया करारा जवाब

मुंबई, 10 अक्टूबर : असफलता से सफलता की कहानी लिखना तो कोई रतन टाटा से सीखे. 1999 में टाटा समूह की बड़ी यात्री कार टाटा इंडिका से अपेक्षित लाभ न मिलने पर अपने यात्री वाहन खंड को फोर्ड मोटर्स को बेचने का फैसला करने के बाद, कंपनी के कुछ अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर अपमानित किए जाने से आहत रतन टाटा ने अपनी रणनीति बदली और न केवल सफलता हासिल की बल्कि 2008 में फोर्ड की जेएलआर को खरीद लिया. टाटा समूह की बड़ी यात्री कार टाटा इंडिका पेश किए जाने के एक वर्ष बाद भी अपेक्षित लाभ नहीं दे रही थी. हताश होकर रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा मोटर्स के शीर्ष अधिकारियों ने फोर्ड मोटर्स के यात्री वाहन खंड को प्रमुख अमेरिकी वाहन विनिर्माता को संभावित रूप से बेचने का अनुरोध स्वीकार कर लिया.

कुछ लोगों ने टाटा को कारोबार बेचने की सलाह दी थी और फोर्ड के अधिकारी बातचीत करने के लिए बॉम्बे हाउस पहुंचे थे. टाटा मुख्यालय में हुई बैठक के दौरान अमेरिकी कंपनी ने कारोबार खरीदने में रुचि दिखाई. इसके बाद रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा के शीर्ष अधिकारी बैठक के लिए अमेरिका पहुंच गए, जो करीब तीन घंटे तक चली. बैठक में उपस्थित एक व्यक्ति के अनुसार, फोर्ड के अधिकारियों ने डेट्रॉयट की बैठक में आए भारतीयों को ‘‘अपमानित’’ किया. फोर्ड के अधिकारियों ने अपने मेहमानों से कहा, ‘‘ आपको कुछ भी पता नहीं है, आपने यात्री कार खंड क्यों शुरू किया’’ और भारतीय कंपनी का कारोबार खरीदकर उस पर एहसान करने की बात कही. सौदा टूट गया. यह भी पढ़ें : भारत की विकास यात्रा में रतन टाटा का योगदान चिरस्मरणीय रहेगा: आरएसएस

इस शर्मनाक अनुभव ने रतन टाटा को अपने लक्ष्यों पर और अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने इकाई को न बेचने का फैसला किया. इसके बाद जो हुआ वह असफलता से सफलता की कहानी रचने की एक बेहतरीन मिसाल है. दल ने बैठक के तुरंत बाद भारत लौटने का फैसला किया, जिसे वहां मौजूद व्यक्ति ने ‘‘अपमानजनक’’ बताया. न्यूयॉर्क लौटते समय 90 मिनट की उड़ान में उदास रतन टाटा कुछ ही शब्द बोले. पूरे समय वह चुप से थे. समूह के पुराने सदस्य प्रवीण काडले ने कुछ वर्ष पहले एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था, ‘‘ यह 1999 की बात है और 2008 में फोर्ड की उसी जेएलआर को हमने खरीद लिया. फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने टाटा को धन्यवाद देते हुए कहा था कि ‘जेएलआर खरीदकर आप हम पर बड़ा एहसान कर रहे हैं’ .'’’

टाटा समूह ने 2008 में फोर्ड से 2.23 अरब अमेरिकी डॉलर के सौदे में सेडान और स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन बनाने वाले प्रतिष्ठित ब्रांड खरीद लिए थे. अधिग्रहण के बाद, टाटा समूह ने मोटर वाहन उद्योग में सबसे शानदार बदलावों में से एक की पटकथा लिखी है और ब्रिटिश ब्रांड को कड़ी प्रतिस्पर्धा वाले वैश्विक कार बाजार में मजबूत इकाई के रूप में स्थापित करने में सफल रहा है. टाटा मोटर्स ने भले ही एक लंबा सफर तय किया है और भारत में बाजार हिस्सेदारी हासिल की है, लेकिन अब भी वह जेएलआर से अपने राजस्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अर्जित कर रहा है. इस बीच, जगुआर लैंड रोवर ने रतन टाटा को श्रद्धांजलि देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि उनके प्रेरणादायक नेतृत्व से ब्रिटिश ब्रांड को दुनिया भर में अभूतपूर्व सफलता हासिल करने में मदद मिली.

जेएलआर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एड्रियन मार्डेल ने बयान में कहा, ‘‘ रतन टाटा के निधन से पूरा जेएलआर परिवार बेहद दुखी है. उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियां और विरासत समाज में बेमिसाल हैं. उन्होंने हमारे कारोबार और ब्रांड पर जो छाप छोड़ी है, वह किसी भी अन्य व्यक्ति की तुलना में कहीं अधिक है.’’ उन्होंने कहा कि टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन ने ब्रिटिश वाहन विनिर्माता कंपनी के इतिहास में नये अध्याय लिखने की प्रेरणा दी है. मार्डेल ने कहा, ‘‘ यह उनकी विलक्षण दूरदृष्टि ही थी कि टाटा ने 2008 में जेएलआर का अधिग्रहण किया और तब से लेकर अब तक हम जो कुछ भी हैं, वह उनके अटूट समर्थन तथा समर्पण से ही संभव हो पाया.’’ टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन नवल टाटा ने बुधवार रात साढ़े 11 बजे दक्षिण मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली. वह 86 वर्ष के थे.