तालिबान के एक अधिकारी ने इस अप्रत्याशित निर्णय की पुष्टि की है. इस फैसले के बाद संभावित अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं से मान्यता हासिल करने के तालिबान के प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है. तालिबान ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब अफगानिस्तान बदतर मानवीय संकट से गुजर रहा है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तालिबान के नेताओं से स्कूल खोलने और महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर जाने का उनका अधिकार प्रदान करने का आग्रह किया है. सहायता संगठनों ने कहा कि इस कदम ने अफगानिस्तान के भविष्य के बारे में अनिश्चितता को बढ़ा दिया है.
अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि थॉमस वेस्ट ने ट्वीट किया कि फैसले को लेकर ''स्तब्ध और बेहद निराश हूं.'' वेस्ट ने इसे ''अफगानिस्तान की जनता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से किये गए वादे से मुकरना'' करार दिया. उन्होंने कहा कि तालिबान ने यह स्पष्ट किया था कि सभी अफगानों को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है. वेस्ट ने कहा, ''देश के भविष्य और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ इसके संबंधों की खातिर मैं तालिबान से आग्रह करता हूं कि वह लोगों से किया गया अपना वादा पूरा करे.'' पूर्व में तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष संकल्प जताया था कि वे महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों में कटौती नहीं करेंगे. तालिबान के एक अधिकारी ने बुधवार को इस कदम की पुष्टि की है कि छठी से ऊपर की कक्षाओं में लड़कियां नहीं पढ़ेंगी. अफगानिस्तान में नये शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पहले तालिबान द्वारा ये फैसला लिया गया है. यह भी पढ़ें : Russia-Ukraine War: जेलेंस्की ने नाटो से ‘‘अप्रतिबंधित’’ समर्थन प्रदान करने का आह्वान किया
अंतरराष्ट्रीय समुदाय तालिबानी नेताओं से जल्द ही स्कूल खोलने और महिलाओं को उनके सार्वजनिक अधिकारों से वंचित नहीं करने का आग्रह करता रहा है. इस सप्ताह की शुरुआत में मंत्रालय द्वारा जारी बयान में ''सभी छात्रों'' से स्कूल आने का अनुरोध किया गया था. तालिबान नीत प्रशासन में बाह्य संबंध अधिकारी वहीदुल्लाह हाशमी ने एसोसिएटेड प्रेस से कहा कि लड़कियों के उच्च शिक्षा वाले स्कूलों में आने पर रोक संबंधी फैसला मंगलवार रात को सामने आया. हाशमी ने कहा, ''लड़कियों के लिए स्कूल बंद रहने संबंधी फैसले की जानकारी तालिबान नेतृत्व द्वारा हमे देर रात दी गई. हम यह नहीं कहते कि स्कूल हमेशा के लिए बंद रहेंगे.'' उन्होंने कहा, '' नेतृत्व ने यह फैसला नहीं किया है कि लड़कियों को कब और किस तरह से दोबारा स्कूल जाने की अनुमति दी जाएगी.''