नयी दिल्ली, दो जनवरी उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग और गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ एक याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें एक चुनाव याचिका में पक्षकार के रूप में उनका नाम हटाए जाने की अनुमति दी गई थी।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ गीता रानी शर्मा नामक महिला की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर निर्वाचन क्षेत्र के लिए उनके नामांकन पत्र को गलत तरीके से खारिज कर दिया गया था।
नोटिस जारी करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जिलाधिकारी को याचिका से पक्षकार के रूप में हटाकर त्रुटिपूर्ण कार्य किया।
अदालत ने कहा, ‘‘आरोपों के अनुसार नामांकन पत्र गलत तरीके से खारिज कर दिया गया। विजयी उम्मीदवार उक्त आरोपों का जवाब नहीं दे पाएगा। उच्च न्यायालय ने जिलाधिकारी को पक्षकारों की सूची से हटाकर गलती की है।’’
इस याचिका पर 24 मार्च से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई होगी।
निर्वाचन आयोग और जिलाधिकारी के अलावा, विजयी भाजपा उम्मीदवार महेश शर्मा तथा अन्य लोगों-भीम प्रकाश जियासू और किशोर सिंह को याचिका में पक्षकार बनाया गया है।
उच्च न्यायालय के समक्ष जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 100(1)(सी) के तहत याचिका दायर की गई थी, जिसमें निर्वाचन अधिकारी द्वारा नामांकन पत्रों को खारिज किए जाने में कथित अनियमितता बरते जाने के आधार पर चुनाव की वैधता को चुनौती दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 82 के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि निर्वाचन आयोग और जिलाधिकारी याचिका में आवश्यक पक्षकार नहीं हैं।
धारा 82 में प्रावधान है कि चुनाव याचिका में निर्वाचित उम्मीदवारों और अन्य चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को प्रतिवादी के रूप में शामिल किया जाना चाहिए, लेकिन इसमें निर्वाचन आयोग या जिलाधिकारी का उल्लेख नहीं है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)
देश की खबरें | उच्चतम न्यायालय ने चुनाव याचिका पर निर्वाचन आयोग और जिलाधिकारी को नोटिस जारी किया
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग और गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ एक याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें एक चुनाव याचिका में पक्षकार के रूप में उनका नाम हटाए जाने की अनुमति दी गई थी।
नयी दिल्ली, दो जनवरी उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग और गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ एक याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें एक चुनाव याचिका में पक्षकार के रूप में उनका नाम हटाए जाने की अनुमति दी गई थी।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ गीता रानी शर्मा नामक महिला की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर निर्वाचन क्षेत्र के लिए उनके नामांकन पत्र को गलत तरीके से खारिज कर दिया गया था।
नोटिस जारी करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जिलाधिकारी को याचिका से पक्षकार के रूप में हटाकर त्रुटिपूर्ण कार्य किया।
अदालत ने कहा, ‘‘आरोपों के अनुसार नामांकन पत्र गलत तरीके से खारिज कर दिया गया। विजयी उम्मीदवार उक्त आरोपों का जवाब नहीं दे पाएगा। उच्च न्यायालय ने जिलाधिकारी को पक्षकारों की सूची से हटाकर गलती की है।’’
इस याचिका पर 24 मार्च से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई होगी।
निर्वाचन आयोग और जिलाधिकारी के अलावा, विजयी भाजपा उम्मीदवार महेश शर्मा तथा अन्य लोगों-भीम प्रकाश जियासू और किशोर सिंह को याचिका में पक्षकार बनाया गया है।
उच्च न्यायालय के समक्ष जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 100(1)(सी) के तहत याचिका दायर की गई थी, जिसमें निर्वाचन अधिकारी द्वारा नामांकन पत्रों को खारिज किए जाने में कथित अनियमितता बरते जाने के आधार पर चुनाव की वैधता को चुनौती दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 82 के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि निर्वाचन आयोग और जिलाधिकारी याचिका में आवश्यक पक्षकार नहीं हैं।
धारा 82 में प्रावधान है कि चुनाव याचिका में निर्वाचित उम्मीदवारों और अन्य चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को प्रतिवादी के रूप में शामिल किया जाना चाहिए, लेकिन इसमें निर्वाचन आयोग या जिलाधिकारी का उल्लेख नहीं है।
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