नयी दिल्ली, 22 मार्च : कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि अडाणी समूह के मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग को लेकर कोई ‘सौदा’ नहीं हो सकता क्योंकि यह प्रकरण बुनियादी रूप से सरकार की नीयत एवं नीतियों से जुड़ा है और विपक्ष जो सवाल उठा रहा है उसका जवाब उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति से नहीं मिल सकता. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कांग्रेस की ‘हम अडाणी के हैं कौन’ श्रृंखला के तहत 100वां सवाल करते हुए दावा किया कि उच्चतम न्यायालय की समिति आखिरकार ‘क्लीन चिट समिति’ साबित होगी. कांग्रेस नेता ने यह दावा भी किया कि सरकार चाहती है कि विपक्ष जेपीसी की मांग वापस ले ले जिसके एवज में वह राहुल गांधी से माफी की मांग वापस ले लेगी. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "हम जेपीसी की मांग को लेकर कोई सौदा करने को तैयार नहीं हैं." रमेश का कहना था कि राहुल गांधी से माफी की मांग बेबुनियाद है क्योंकि उन्होंने ब्रिटेन में ऐसा कुछ बयान ही नहीं दिया जिसके लिए उन्हें माफी मांगने की जरूरत पड़े.
कांग्रेस नेता का कहना था कि राहुल गांधी की टिप्पणी के मामले का और अडाणी समूह से जुड़े मुद्दे की जांच के लिए जेपीसी की मांग का] आपस में कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने पहले राहुल गांधी के बयान को विकृत किया, फिर बदनाम किया और अब इसके सहारे वह अडाणी मामले से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. रमेश ने कहा, ‘‘हमने अडाणी महाघोटाले में आपकी स्पष्ट मिलीभगत को लेकर 5 फरवरी 2023 से अब तक आपसे 99 सवाल पूछे हैं. हम एक अंतिम प्रश्न के साथ इस श्रृंखला को समाप्त कर रहे हैं कि क्या आप (प्रधानमंत्री) अपने नियंत्रण वाली जांच एजेंसियों उपयोग राष्ट्रीय हित में करेंगे?’’ उनका कहना था, "100 सवाल पहले जेपीसी की मांग थी और आज भी रहेगी." कांग्रेस नेता ने कहा, "उच्चतम न्यायलय ने जो समिति बनाई वह अडाणी केंद्रित समिति है . हम सवाल अडाणी से नहीं, प्रधानमंत्री और सरकार से कर रहे हैं. इन सवालों के जवाब उच्चतम न्यायालय की समिति से नहीं मिल सकते." यह भी पढ़े :Nikki Yadav Murder Case: आरोपी को आज दिल्ली की अदालत में किया जाएगा पेश
उन्होंने दावा किया, "यह घोटाला स्टॉक मार्केट तक ही सीमित नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री की नीयत और नीतियों से संबंधित हैं. हम कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री जी, चुप्पी तोड़िये. उच्चतम न्यायालय की समिति सरकार को दोषमुक्त करने की कवायद के अलावा कुछ नहीं है. यह क्लीनचिट समिति है."उन्होंने कहा, "हम जेपीसी की मांग से पीछे हटने वाले नहीं हैं." उन्होंने दावा किया, ‘‘मॉन्टेरोसा समूह, एलारा इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड, क्रेस्टा फंड आदि जैसी अपारदर्शी ऑफशोर संस्थाएं "स्टॉक पार्किंग" की दोषी प्रतीत होती हैं. स्टॉक पार्किंग के तहत एक तीसरा पक्ष नियामकों के समक्ष वास्तविक मालिक के स्वामित्व या नियंत्रण को छिपाने के लिए शेयर रखता है. क्या सेबी कार्रवाई करेगा?’’ रमेश ने यह भी पूछा, ‘‘क्या धनशोधन के आरोपों को लेकर ईडी कार्रवाई करेगी? क्या एसएफआईओ (गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय) सिर्फ दिखावे के लिए नहीं बल्कि इमानदारी से अपना काम करेगा? क्या सीबीआई कार्रवाई करेगी? क्या डीआरआई (राजस्व आसूचना निदेशालय) कार्रवाई करेगा?’’