मुंबई, 19 फरवरी : कोल्हापुर के पूर्व मराठा राजपरिवार के सदस्य संभाजी राजे छत्रपति (Sambhaji Raje Chhatrapati) ने रविवार को दावा किया कि पुणे में पुलिस ने शिवाजी महाराज के समर्थकों को कुछ अति विशिष्ट व्यक्तियों (वीआईपी) की यात्रा के कारण इन मराठा योद्धा की जयंती पर शिवनेरी किले में नहीं जाने दिया. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ किले का दौरा किया. उन्होंने कहा कि वह इस बारे में कदम उठाएंगे ताकि शिवाजी महाराज के समर्थकों को अगले साल शिवनेरी किला जाने के दौरान कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़े. शिवाजी महाराज का जन्म 1630 में शिवनेरी किले में हुआ था.
राज्यसभा के पूर्व सदस्य संभाजी छत्रपति रविवार शिवनेरी किले में आयोजित आधिकारिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके. उन्होंने उन्होंने दावा किया कि कुछ वीआईपी के किले जाने के मद्देनजर कई ‘‘शिव भक्तों’’ को पुलिस ने रोक दिया. किले में जमा लोगों के समूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं किले के निकट था तब कुछ शिव भक्तों ने मुझसे संपर्क किया और शिकायत की कि पुलिस उन्हें किले में जाने से रोक रही है. उन्होंने मुझे बताया कि पुलिस उनकी यात्रा पर आपत्ति जता रही है और भीड़ इकट्ठा होने से भगदड़ जैसी अप्रिय घटनाओं की आशंका का हवाला दे रही है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह बिल्कुल अनुचित है. शिवनेरी किले में जाने की बात पर शिव भक्तों के समर्थकों के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. ....’’ यह भी पढ़ें : टीपू विरोधी अभियान से राम मंदिर परियोजना तक, कर्नाटक भाजपा ध्रुवीकरण पर निर्भर
मुख्यमंत्री शिंदे ने शिवाजी जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने संभाजी छत्रपति की टिप्पणियां सुनी हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हम जरूरी कदम उठायेंगे ताकि अगले साल शिवनेरी किला आने वाले लोगों को किसी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़े.’’ उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने भी कहा कि अगले साल भीड़ के उचित प्रबंधन के लिए बेहतर व्यवस्था की जाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘हम जल्द इस पर बैठक बुलाएंगे.’’ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से सांद अमोल कोल्हे ने कहा कि शिवनेरी किले में एक स्थायी ‘‘भगवा झंडा’’ लहराया जाना चाहिए. यह किला कोल्हे के संसदीय क्षेत्र में पड़ता है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं ‘भगवा जाणीव’ आंदोलन शुरू कर रहा हूं जिसका उद्देश्य लोगों को इस मांग के बारे में बताना है. किले पर झंडा लहराने से किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.’’