देश की खबरें | सोरेन ने लद्दाख जाने वाले 1,600 मजदूरों की विशेष ट्रेन को हरी झंडी दिखाई
जियो

मुख्यमंत्री ने श्रमिकों की ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के बाद कहा, ‘‘यूँ तो लद्दाख पहले से ही मजदूर जाते रहे हैं, परन्तु आज तक कितने मजदूर वहां गए, योगदान के बदले मजदूरों को क्या प्राप्त हुआ, इसका कोई आँकड़ा नहीं था।’’

उन्होंने कहा कि लद्दाख ऐसी जगह है जहाँ साधारण व्यक्ति जाकर जीवन-यापन नहीं कर सकता।

यह भी पढ़े | कोरोना वायरस से महाराष्ट्र में 1134 नए मरीज पाए गए, 113 की की मौत: 13 जून 2020 की बड़ी खबरें और मुख्य समाचार LIVE.

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखण्ड, बंगाल, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ को यह पता नहीं था कि किस पैमाने पर मजदूर पलायन करते हैं जो देश के विकास को गति देते रहे हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान विभिन्न राज्यों से मजदूरों का जो पलायन शुरू हुआ, आजाद भारत में ऐसा कभी नहीं हुआ था। ट्रेन की पटरियों पर, पैदल चलते-चलते मजदूर मरे। पैदल चलती महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया। ऐसा लगा कि आज भी मजदूरों के प्रति संवेदनाएँ नहीं हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखण्ड देश का पहला ऐसा राज्य है जहाँ प्रवासी मजदूरों को वापस बुलाया गया।

यह भी पढ़े | कोरोना से जंग जारी, पीएम मोदी ने मंत्रियों और अधिकारियों के साथ वर्तमान स्थिति की समीक्षा की.

सोरेन ने कहा कि उन्होंने कल्पना नहीं की थी कि मजदूर ऐसी जगह पर रहते हैं जहाँ हवा, पानी, खाने-पीने, नेटवर्क तक की असुविधा है। ऐसी स्थिति में बड़ी मुश्किल से सम्पर्क होने पर मजदूरों को हवाई जहाज से वापस बुलाया गया। आज खबर आई है कि 82 और मजदूर लद्दाख में हैं जो वापस आना चाहते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं पीछे नहीं जाना चाहता कि मजदूर पहले कैसे जाते थे, परन्तु अब बाहर जाने वाले मजदूरों के हित के लिए कड़ाई से कानून लागू करूँगा। अगर मजदूरों को उनका हक नहीं मिलेगा तो सरकार बिना झिझक कार्रवाई करने से नहीं चूकेगी। यहाँ से मजदूर महाराष्ट्र, मुम्बई जाते हैं, जहाँ उनका शोषण होता है। बिचौलियों का बड़ा संगठन उनके बड़े अधिकार को मार लेता है।’’ उन्होंने कहा कि सीमा सड़क संगठन राज्य के मजदूरों से कदम मिलाकर चले। सीमा पर तनाव है, बावजूद इसके मजदूर यहाँ से सीना चौड़ा कर जा रहे हैं। ये वो सैनिक हैं जो अपने खून से सीमा को सींचने को तैयार हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में प्रबंधन के मामले में झारखण्ड पूरे देश में अव्वल है। मजदूर-किसान भूख से न मरें, इसके लिए उन्हें राशन एवं पका हुआ भोजन दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सीमा सड़क संगठन मजदूरों की सुख-सुविधा को ध्यान में रखे और समय पर उन्हें सम्मान सहित वापस भी पहुँचाने का कार्य भी करे।

मौके पर मौजूद सीमा सड़क संगठन के एडीजी अनिल कुमार ने कहा कि भारत के पर्वतीय इलाके में सड़क निर्माण करना चुनौती भरा कार्य है। सड़क निर्माण कार्य की राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका है। सड़क निर्माण से सुरक्षाबलों की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है। झारखण्ड के मजदूरों की भूमिका राष्ट्र की सीमा पर सड़क निर्माण में प्रशंसनीय है जिस कारण संगठन का यहाँ के मजदूरों से विशेष लगाव है।

उन्होंने जानकारी दी कि यहाँ से 11,000 मजदूर ले जाए जाएंगे, जिनके लिए दुमका से 13, 16, 20, 24, 28 जून और फिर पांच जुलाई को विशेष ट्रेनों की व्यवस्था है।

मौके पर मुख्यमंत्री की मौजूदगी में श्रम विभाग और सीमा सड़क संगठन के प्रतिनिधि के बीच नियम शर्तों पर हस्ताक्षर किए गए।

, इन्दु

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)