नयी दिल्ली, 19 सितंबर भारत ने सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा भारत सरकार और कुछ भारतीय अधिकारियों के खिलाफ अमेरिकी अदालत में दायर मुकदमे को पूरी तरह से ‘‘अनुचित और निराधार’’ बताते हुए बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया।
कट्टरपंथी समूह ‘सिख फॉर जस्टिस’ के प्रमुख पन्नू ने अमेरिका की संघीय जिला अदालत में दीवानी मुकदमा दायर कर पिछले वर्ष अमेरिकी धरती पर उसकी हत्या के कथित असफल प्रयास के लिए हर्जाना मांगा है।
पिछले वर्ष नवंबर में, अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर न्यूयॉर्क में पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाया था।
भारत में आतंकवाद के आरोपों में वांछित पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है।
पन्नू द्वारा दायर दीवानी मुकदमे को लेकर प्रेस वार्ता में एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इसे ‘‘अनुचित’’ और ‘‘निराधार’’ बताया।
मिस्री ने कहा, ‘‘जैसा कि हमने पहले कहा है, ये पूरी तरह से अनुचित और निराधार आरोप हैं। अब जब यह विशेष मामला दर्ज हो गया है, तो इस स्थिति के बारे में हमारे विचार नहीं बदलेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपका ध्यान केवल इस विशेष मामले में शामिल व्यक्ति की ओर आकर्षित करना चाहूंगा, जिसका इतिहास सर्वविदित है।’’
मिस्री ने कहा, ‘‘मैं इस तथ्य को भी रेखांकित करना चाहूंगा कि यह संगठन एक गैरकानूनी संगठन है और इसे 1967 के गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत ऐसा घोषित किया गया था। भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से राष्ट्र-विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने के कारण यह कदम उठाया गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस समय इससे अधिक कुछ नहीं कहना चाहता। मुझे लगता है कि यह बात अपने आप में सब कुछ बयां कर देती है।’’
यह मुकदमा मंगलवार को न्यूयॉर्क की एक जिला अदालत में दायर किया गया। यह मुकदमा भारत सरकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, खुफिया एजेंसी ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग’ (रॉ) के पूर्व प्रमुख सामंत गोयल, वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी विक्रम यादव और निखिल गुप्ता के खिलाफ है।
अमेरिका के आरोपों के बाद भारत ने साजिश के संबंध में अमेरिका द्वारा दी गई जानकारी की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति नियुक्त की थी।
आरोपों की जांच के लिए नियुक्त उच्च स्तरीय समिति के बारे में पूछे जाने पर मिस्री ने कहा कि दोनों देशों की संबंधित एजेंसियां इस मामले पर काम कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जब ये मुद्दे पहली बार हमारे ध्यान में लाए गए, तो हमने कुछ कार्रवाई की और आरोपों सहित इन मुद्दों की जांच एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा की जा रही है तथा दोनों पक्षों की संबंधित एजेंसियां इस पर काम कर रही हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या शनिवार को विलमिंगटन में क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय वार्ता के दौरान खालिस्तान मुद्दे पर चर्चा की जाएगी, मिस्री ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि हमने पहले भी कहा है, भारत और अमेरिका के हितों से जुड़े सभी मुद्दों पर हम चर्चा करते हैं। कोई विशेष मुद्दा उठाया जाएगा या नहीं, इस बारे में मैं अभी कुछ नहीं कह सकता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि हम सभी मुद्दों पर चर्चा करेंगे।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)