चंडीगढ़, छह नवंबर पंजाब कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने शनिवार को फरीदकोट के एक गुरुद्वारे में अरदास की और 2015 के गुरु ग्रंथ साहिब बेअदबी मामले में शामिल दोषियों को ''ऐसी कड़ी सजा देने की प्रार्थना की, जो आनेवाली पीढ़ियों के लिए सबक बन जाए।''
सिद्धू ने इससे एक दिन पहले शुक्रवार को कहा था कि उन्होंने पार्टी की पंजाब इकाई के प्रमुख के पद से अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। सिद्धू ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला गुरुद्वारा फरीदकोट में अरदास की, जहां से 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति (कॉपी) चोरी हो गई थी।
सिद्धू ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘गुरुद्वारा साहिब बुर्ज जवाहर सिंह वाला, बरगारी में अरदास की… गुरु ग्रंथ साहिब जी बेदअबी मामले में शामिल लोगों को ऐसी कड़ी सजा देने की प्रार्थना की, जो आनेवाली पीढ़ियों के लिए सबक बन जाए।’’ इस मुद्दे पर उन्होंने गुरुद्वारा में कुछ स्थानीय लोगों से बातचीत की।
शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान सिद्धू ने चरणजीत सिंह चन्नी नीत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि चन्नी सरकार ने पिछले 50 दिनों में बेअदबी मामले में और नशीली दवाओं के मामलों पर एक विशेष कार्यबल की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने पर क्या किया है। उन्होंने कहा कि जिस दिन महाधिवक्ता और पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति के लिए समिति का गठन होगा, उसी दिन से वह पार्टी के पद का कार्यभार संभालेंगे।
सिद्धू ने चन्नी की पसंद माने जाने वाले राज्य के महाधिवक्ता ए पी एस देओल और पुलिस महानिदेशक इकबाल प्रीत सिंह सहोता की नियुक्ति का विरोध किया था।
सहोता ने 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं की जांच के लिए पूर्ववर्ती शिअद-भाजपा सरकार द्वारा गठित एसआईटी का नेतृत्व किया था। वहीं, एक अधिवक्ता के तौर पर देओल ने पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी का प्रतिनिधित्व किया था, जिन्होंने छह साल पहले तब राज्य पुलिस का नेतृत्व किया था, जब बेअदबी की घटनाएं हुई थीं और प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की गोलीबारी हुई थी।
स्नेहा शाहिद प्रशांत
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