शेटराउ (फ्रांस), 30 जुलाई पिस्टल निशानेबाज सरबजोत सिंह ने अपने पहले ही ओलंपिक खेलों में गम और खुशी दोनों का अनुभव कर लिया ।
व्यक्तिगत 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में मामूली अंतर से चूकने के बाद सरबजोत ने मंगलवार को अपने खेल में सुधार करते हुए अपने से अधिक अनुभवी साथी मनु भाकर से साथ मिलकर पेरिस खेलों में भारत को निशानेबाजी में दूसरा पदक हासिल दिलाया।
अंबाला के पास धीन गांव का यह 22 वर्षीय निशानेबाज पिछले हफ्ते पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में मामूली अंतर से चूक गया और इस निशानेबाज को निराशा में अपनी 2016 से शुरू हुई यात्रा आंखों के सामने दिखने लगी।
उन्हें अंबाला में कोच अभिषेक राणा की अकादमी तक जाने के लिए रोजाना 35 किलोमीटर लंबी बस यात्रा और अपने पिता के त्याग का मंजर याद आने लगा जो अपनी सीमित खेती की आय से परिवार का भरण-पोषण कर पाते थे। साथ ही उन्हें अपने अमेरिका में रहने वाले दादा की याद आई जिन्होंने सुनिश्चित किया कि उनके पोते को कभी भी महंगे निशानेबाजी उपकरणों पर समझौता नहीं करना पड़े।
सरबजोत ने कहा, ‘‘फाइनल के बाद मैं बस यही सोच सका कि मेरे पिता ने पूरी जिंदगी मेरे लिए क्या किया, अमेरिका में मेरे दादा का मदद करना और अपने करियर के पहले दो साल में अम्बाला से बस से जो यात्रा की, वो मेरी आंखों के आगे दिखने लगी। अब पदक जीतने के बाद मुझे उम्मीद है कि मैं अपने माता पिता की जिंदगी बेहतर बना पाऊंगा। ’’
विश्व स्पर्धाओं में कई पदक जीत चुके सरबजोत ने कहा, ‘‘मैं बस में दो साल सफर करने के बाद ऊब गया था। तीसरे साल से मैं चेतन नाम के एक दोस्त के साथ जाता था क्योंकि 2021 में मुझे रेंज पर जाने के लिए एक कार मिली थी। ’’
सरबजोत को शुरू में थोड़ा दबाव महसूस हुआ जिससे उन्होंने 8.6 का निशाना लगाया लेकिन फिर निरंतरता हासिल करके मनु के साथ बराबरी करने लगे। उन्होंने कहा, ‘‘कोई दबाव नहीं था। मैं कल रात साढ़े नौ बजे सोया और सुबह साढ़े पांच बजे उठ गया। लेकिन जब मैं रेंज पर पहुंचा तो मुझे थोड़ा दबाव महसूस हुआ क्योंकि इसको लेकर काफी ‘हाइप’ बन गयी थी।’’
पर वह व्यक्तिगत स्पर्धा की निराशा से उबरने में सफल रहे, उन्होंने कहा, ‘‘मेरे परिवार ने मेरा मनोबल बढ़ाया। मैंने कोचों से बात की और यह जानने की कोशिश की कहां गलती हुई। कोच के साथ बातचीत तकनीकी ही थी।’’
सरबजोत की सफलता का काफी श्रेय उनकी मित्र और साथी निशानेबाज आद्य मालरा को भी जाना चाहिए जो उनके साथ अम्बाला की अकादमी में ट्रेनिंग करते हैं।
अभिषेक राणा ने सरबजोत का पदक पक्का होने के बाद भावुक होते हुए कहा, ‘‘सरबजोत और आद्य 2016 में एक साथ ही मेरी अकादमी में आये थे। दोनों के बीच अच्छा तालमेल है और उन्हें किसी टूर्नामेंट की तैयारी के लिए किसी और के साथ ट्रेनिंग की जरूरत नहीं है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘आद्य ओलंपिक चयन ट्रायल्स का हिस्सा नहीं था लेकिन वह सरबजोत का मनोबल बढ़ाने में अहम रहा। ’’
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