मुंबई, 6 सितंबर : महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति में मतभेद उभरते नजर आ रहे हैं क्योंकि शिवसेना ने ‘लाडकी बहिन योजना’ के विज्ञापनों से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम ‘‘हटाए’’ जाने को लेकर सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और उसके अध्यक्ष अजित पवार की आलोचना की है. राज्य के आबकारी मंत्री एवं मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के नेता शंभुराज देसाई ने यहां शुक्रवार को संवाददाताओं से बातचीत में उप मुख्यमंत्री पवार पर अप्रत्यक्ष रूप से ‘‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन’ योजना को ‘‘हाईजैक’’ करने का आरोप लगाते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की. इस योजना के तहत राज्य में पात्र महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह आर्थिक सहायता दी जाती है.
उन्होंने कहा कि उनके (पवार के) जन संपर्क कार्यक्रमों के दौरान योजना के पूरे नाम का इस्तेमाल नहीं करना प्रोटोकॉल के अनुरूप नहीं है. देसाई ने आरोप लगाया, ‘‘योजना के नाम में ‘मुख्यमंत्री’ शब्द भी जुड़ा है और योजना के नाम से इसे हटाना अनुचित है. ऐसा नहीं किया जाना चाहिए.’’ आबकारी मंत्री ने कहा, ‘‘यह राज्य सरकार की योजना है और उन्हें (पवार को) हर किसी को साथ लेकर चलना चाहिए.’’ महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले अजित पवार ने पिछले महीने ‘जन सम्मान यात्रा’ नाम से अपनी पार्टी का जनसंपर्क कार्यक्रम शुरू किया था. महाराष्ट्र में नवंबर में चुनाव होने की संभावना है. पवार राज्य के वित्त मंत्री भी हैं. पवार का कार्यक्रम ‘लाडकी बहिन’ एवं अन्य योजनाओं के तहत उपलबध वित्तीय सहायता के लाभ पर केंद्रित था. यह भी पढ़ें : नड्डा की मौजूदगी में नीतीश ने राजद के साथ अतीत में किए गठबंधन को ‘गलती’ बताया
अभियान के दौरान इस्तेमाल किए गए विज्ञापन एवं अन्य प्रचार सामग्री में राकांपा ने योजना के नाम का जिक्र ‘माझी लाडकी बहिन’ के रूप में किया. अजित पवार खेमे ने दो वीडियो भी जारी किए और इसमें भी योजना के लिए लाभार्थियों को अजित पवार का शुक्रिया अदा करते हुए दिखाया गया है. राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले शुरू ‘लाडकी बहिन’ योजना पड़ोसी मध्य प्रदेश में शुरू ‘लाडली बहना योजना’ से प्रेरित है. पिछले महीने ‘लाडकी बहिन’ योजना की शुरुआत हुई थी. रैलियों के दौरान मुख्यमंत्री शिंदे ने वादा किया था कि अगर महायुति फिर से सत्ता में आती है तो वह योजना की राशि बढ़ाकर 3,000 रुपये कर देंगे.