कर्नाटक के मंत्री ईश्वर बी खांडरे ने वीरभद्र नामक यांत्रिक हाथी को सौंपते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी ने मंदिरों में हाथी को बेड़ियों में बांधे बिना रखना संभव बना दिया है।
रंभपुरी पीठ स्थित श्री जगद्गुरु रेणुकाचार्य मंदिर ने न तो जिंदा हाथियों को रखने और न ही किराए पर लेने का निर्णय लिया है।
मंदिर के निर्णय की सराहना करते हुए वन, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे खांडरे ने कहा, ‘‘कई अन्य मंदिरों और मठों ने मुझसे हाथी दान करने का अनुरोध किया। लेकिन वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अनुसार हम किसी भी मंदिर को हाथी दान नहीं कर सकते। इन परिस्थितियों में रोबोट हाथी जैसी नयी तकनीकें आ गई हैं।’’
मंदिर को हाथी का दान ‘पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स’ (पेटा) इंडिया और बेंगलुरु स्थित पशु कल्याण संगठन ‘कम्पैशनेट अनलिमिटेड प्लस एक्शन’ (सीयूपीए) द्वारा किया गया।
पेटा इंडिया के अनुसार, तीन मीटर लंबा यांत्रिक हाथी 800 किलोग्राम वजन का है और यह रबड़, फाइबर, धातु, जाल, फोम और स्टील से बना है तथा पांच मोटर से चलता है।
वन मंत्री ने वन विभाग और कर्नाटक सरकार की ओर से पेटा, सीयूपीए और अभिनेत्री को धन्यवाद दिया। कर्नाटक के ऊर्जा मंत्री के जे जॉर्ज और श्रृंगेरी विधानसभा के सदस्य टी डी राजेगौड़ा भी इस अवसर पर मौजूद थे।
पेटा इंडिया के अनुसार, दक्षिण भारत के मंदिरों में अब कम से कम 10 यांत्रिक हाथियों का उपयोग किया जाता है, जिनमें से छह को उसने दान दिया है।
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