विदेश की खबरें | ईरान, इजराइल के बीच संबंध या इसका ना होना चिंता का विषय : जयशंकर
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

मनामा, आठ दिसंबर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि इजराइल और ईरान के बीच संबंध या इसकी अनुपस्थिति चिंता का विषय है तथा भारत के कुछ कूटनीतिक प्रयास इस पहलू पर केंद्रित हैं।

बहरीन में ‘मनामा डायलॉग’ में अपने संबोधन में जयशंकर ने लाल सागर में हूती चरमपंथियों द्वारा वाणिज्यिक जहाजों पर हमलों का सीधे तौर पर उल्लेख किए बिना कहा कि भारत सुरक्षा स्थिति को ठीक करने में रुचि रखता है।

शनिवार को बहरीन की दो दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें संघर्षों को और फैलने से रोकना, प्रमुख संपर्क परियोजनाओं का महत्व और क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति में सुधार की आवश्यकता शामिल है।

उन्होंने कहा, ‘‘हालिया समय में, हम सभी के लिए इजराइल और ईरान के बीच संबंध या इसकी (संबंध की) अनुपस्थिति विशेष रूप से चिंता का विषय रही है। इसलिए हमारे कुछ कूटनीतिक प्रयास उस विशेष पहलू पर केंद्रित रहे हैं।’’

जयशंकर ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव को लेकर वैश्विक चिंताएं बढ़ी हैं।

अक्टूबर में, ईरान ने हिज्बुल्ला प्रमुख हसन नसरल्ला और लेबनानी चरमपंथी संगठन के अन्य कमांडरों की हत्या के जवाब में इजराइल पर लगभग 200 मिसाइलें दागी थीं। इसके बाद इजराइल ने ईरानी हमलों का जवाब दिया था।

भारत के लिए पश्चिम एशिया के महत्व के बारे में बात करते हुए विदेश मंत्री ने देश की सतत आर्थिक वृद्धि को भी रेखांकित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत आज लगभग 4,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश है, (और) हमें उम्मीद है कि इस दशक में यह आसानी से दोगुना हो जाएगा। हमारा व्यापार आज लगभग 800 अरब अमेरिकी डॉलर का है। यह भी इस दशक में कम से कम दोगुना हो जाना चाहिए।’’

जयशंकर ने लाल सागर में स्थिति का भी उल्लेख किया और कहा कि सुरक्षा, रणनीतिक क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

उन्होंने कहा, ‘‘और इस क्षेत्र में हमारे सामने बहुत बड़ी सुरक्षा चुनौतियां हैं, जिनका एशिया में व्यापार पर बहुत गहरा और नुकसानदेह प्रभाव पड़ा है।’’

लाल सागर में अस्थिर स्थिति को देखते हुए, माल की खेपों को अन्य मार्गों से भेजा गया, जिससे परिवहन की लागत काफी बढ़ गई।

विदेश मंत्री ने इस क्षेत्र में भारत की नौसैन्य उपस्थिति के बारे में भी बात की।

उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में इस क्षेत्र में अदन की खाड़ी, सोमालिया, उत्तरी अरब सागर में हमारी नौसेना की उपस्थिति रही है। पिछले एक साल में यहां लगभग 30 जहाज तैनात रहे हैं, कभी वहां अधिकतम 12 जहाज ही तैनात थे।’’

जयशंकर ने कहा कि भारत खाड़ी क्षेत्र के साथ-साथ भूमध्य सागर में भी अपने साझेदारों के साथ द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास बढ़ाने का इरादा रखता है।

उन्होंने कहा, ‘‘भूमध्य सागर में, विशेषकर इजराइल के अलावा, यूनान और मिस्र के साथ इस वर्ष हमने महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास किए हैं।’’

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