नयी दिल्ली, छह अक्टूबर भारतीय रिजर्व बैंक ने मझोली और निचली श्रेणी में आने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को योग्य कर्ज जोखिम हस्तांतरण उत्पादों के साथ अपने ऋण जोखिम को कम करने की अनुमति देने का फैसला किया है। पहले यह सुविधा उच्च श्रेणी के एनबीएफसी के लिये उपलब्ध थी।
उच्च श्रेणी (अपर-लेयर) की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को बड़ी राशि के कर्ज से जुड़े मौजूदा नियमों के तहत ऋण को लेकर कुछ कर्ज जोखिम हस्तांतरण उपकरणों के साथ जोखिम को कम करने की अनुमति है।
हालांकि मझोली (मिडिल लेयर) और निचली श्रेणी (बेस लेयर) के अंतर्गत आने वाली एनबीएफसी के लिये इस प्रकार की सुविधा नहीं है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा, ‘‘एनबीएफसी के बीच उपरोक्त मानदंडों में सामंजस्य स्थापित करने के लिये मझोली और निचली श्रेणी में आने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को योग्य कर्ज जोखिम हस्तांतरण उत्पादों के साथ अपने ऋण जोखिम कम करने की अनुमति देने का फैसला किया गया है।’’
इस रूपरेखा का उद्देश्य बड़े कर्ज के मामले में किसी एक इकाई या समूह तक ऋण को सीमित करना है क्योंकि इससे कारोबार के विफल होने की स्थिति में काफी जोखिम रहता है।
आरबीआई जल्दी ही इस संदर्भ में दिशानिर्देश जारी करेगा।
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