नयी दिल्ली, दो जनवरी कांग्रेस ने निजी खपत में गिरावट, महंगाई, ‘आर्थिक असमानता’ को लेकर बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और दावा किया कि उनके ‘‘नए साल के संकल्प’’ लोगों का जीवन बर्बाद करने वाले जुमलों से कम नहीं हैं।
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार के पास आर्थिक उथल-पुथल का कोई समाधान नहीं है।
खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मोदी सरकार के पास खुद के द्वारा पैदा की गई आर्थिक उथल-पुथल का कोई समाधान नहीं है। कुछ संकेतक साफ बताते हैं कि आम भारतीयों के जीवन में कितनी समस्या है। गोल्ड लोन में 50 प्रतिशत की वृद्धि और गोल्ड लोन एनपीए में 30 प्रतिशत का उछाल आया।’’
उन्होंने दावा किया कि निजी खपत कम हो गई है तथा कारों की बिक्री में वृद्धि चार साल के निचले स्तर पर आ गई है।
उनका कहना था, ‘‘पिछले 5 वर्षों (2019-2023) में इंजीनियरिंग, विनिर्माण, प्रक्रिया और बुनियादी ढांचे (ईएमपीआई) के क्षेत्र में मजदूरी केवल 0.8 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक दर से बढ़ी। पिछली आठ तिमाहियों में खाद्य मुद्रास्फीति औसतन 7.1 प्रतिशत रही है। आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी के रूप में अप्रत्यक्ष कराधान से घरेलू बचत घट रही है जो 50 साल के निचले स्तर पर है।’’
खरगे के अनुसार, घरेलू वित्तीय देनदारियां अब सकल घरेलू उत्पाद का 6.4 प्रतिशत हैं, जो दशकों में सबसे अधिक है।
उन्होंने दावा किया, ‘‘रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है, जिससे विदेशी धन बाहर चला गया और छोटे निवेशकों को लाखों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी जी, आपके वार्षिक 'नए साल के संकल्प' प्रत्येक नागरिक के जीवन को नष्ट करने वाले जुमलों से कम नहीं हैं।’’
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के एक कथन का उल्लेख करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘रिजर्व बैंक के मुताबिक, भारतीय परिवारों की आमदनी लगातार घट रही है और कर्ज लेने वालों की संख्या बढ़ रही है।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘घटती आमदनी की वजह से लोगों का ऋण चुकाना मुश्किल हो रहा है, इसका नतीजा ये है कि मौजूदा वित्त वर्ष के शुरुआती 7 महीनों में गोल्ड लोन में 56 प्रतिशत की वृद्धि हुई, लेकिन गोल्ड लोन की अदायगी नहीं हो पाना 30 प्रतिशत बढ़ गया।’’
प्रियंका गांधी ने दावा किया कि ‘वर्ल्ड इनइक्वैलिटी डेटाबेस’ के मुताबिक, भाजपा राज सरकार में आर्थिक असमानता अंग्रेजी राज से भी ज्यादा बढ़ गई है तथा देश की आधी से ज्यादा संपत्ति पर एक प्रतिशत अमीरों का कब्जा है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री जी ने 'सालाना दो करोड़ नौकरियां', '5 हजार अरब डॉलर की इकोनॉमी', 'विश्वगुरु' और 'नए साल के संकल्प' जैसे जुमले तो खूब दिए लेकिन असल में उनकी आर्थिक कुनीतियों ने करोड़ों देशवासियों को कमजोर किया है।’’
हक
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