नयी दिल्ली, 7 दिसंबर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को लाल किले में प्रथम भारतीय कला, वास्तुकला और डिजाइन बिएननेल (आईएएडीबी) 2023 का उद्घाटन करेंगे. इस दौरान वह लाल किले पर आत्मनिर्भर भारत सेंटर फॉर डिजाइन और विद्यार्थी बिएननेल-समुन्नति का भी उद्घाटन करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने बृहस्पतिवार को एक बयान में यह जानकारी दी.
बयान के अनुसार, वेनिस, साओ पाउलो, सिंगापुर, सिडनी और शारजाह आदि में अंतरराष्ट्रीय बिएननेल की तरह देश में एक प्रमुख वैश्विक सांस्कृतिक पहल को विकसित और संस्थागत बनाने की प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि के अनुरूप संग्रहालयों को ‘रीइन्वेंट, रीब्रांड’, नवीनीकृत और पुन: स्थापित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया गया.
बयान में कहा गया कि इसके अलावा भारत के पांच शहरों कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और वाराणसी में सांस्कृतिक स्थलों के विकास की भी घोषणा की गई. पीएमओ ने कहा, ‘‘भारतीय कला, वास्तुकला और डिजाइन बिएननेल (आईएएडीबी) दिल्ली में सांस्कृतिक स्थल केंद्र के रूप में काम करेगा.’’ लाल किला में नौ से 15 दिसंबर तक आईएएडीबी का आयोजन किया जा रहा है. हाल ही में आयोजित इंटरनेशनल म्यूजियम एक्सपो (मई 2023) और फेस्टिवल ऑफ लाइब्रेरीज (अगस्त 2023) जैसी प्रमुख पहल का अनुसरण किया जा रहा है.
पीएमओ ने कहा कि आईएएडीबी कलाकारों, वास्तुकारों, डिजाइनरों, फोटोग्राफरों, संग्राहकों, कला पेशेवरों और जनता के बीच समग्र वार्तालाप शुरू करने और सांस्कृतिक संवाद को मजबूत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. उसने कहा, ‘‘यह उभरती अर्थव्यवस्था के हिस्से के रूप में कला, वास्तुकला और डिजाइन के रचयिताओं के साथ विस्तार और सहयोग करने के मार्ग और अवसर भी प्रदान करेगा.’’
आईएएडीबी सप्ताह के प्रत्येक दिन अलग-अलग विषय पर आधारित प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी. इसमें विभिन्न विषयों पर आधारित मंडप, पैनल चर्चा, कला कार्यशालाएं, आर्ट बाजार, हेरिटेज वॉक और एक समानांतर विद्यार्थी बिएननेल शामिल होंगे. पीएएमओ ने बयान में कहा कि आईएएडीबी23 देश के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन साबित होने वाला है क्योंकि यह बिएननेल परिदृश्य में भारत के प्रवेश का आरंभ करेगा.
इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री के 'वोकल फॉर लोकल' के आह्वान के अनुरूप लाल किले पर 'आत्मनिर्भर भारत सेंटर फॉर डिज़ाइन' स्थापित किया जा रहा है. बयान के अनुसार, ‘‘इसमें भारत के अद्वितीय और स्वदेशी शिल्प का प्रदर्शन किया जाएगा तथा यह कारीगरों और डिजाइनरों के बीच सहयोगपूर्ण स्थान प्रदान करेगा. स्थायी सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रशस्त करते हुए यह कारीगर समुदायों को नए डिजाइन और नवाचारों के साथ सशक्त बनाएगा.’’
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