रायपुर, 27 अक्टूबर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इतिहास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम सबसे असफल और जुमलेबाज प्रधानमंत्री के रूप में दर्ज होगा।
बघेल ने यह टिप्पणी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान पर की है जिसमें शाह ने एक कार्यक्रम में मोदी को आजाद भारत का सबसे सफल प्रधानमंत्री कहा था।
उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के दौरे से लौटने के बाद बुधवार को रायपुर के विमानतल पर संवाददाताओं में बघेल से प्रधानमंत्री को लेकर गृह मंत्री शाह की टिप्पणी के संबंध में सवाल पूछा गया तब बघेल ने कहा, ‘‘अमित शाह ने जो बातें कहीं वह उनका आकलन हो सकता है। लेकिन जब इतिहास समीक्षा करेगा तब देखेंगे कि नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी लागू किया उससे देश पर क्या प्रभाव पड़ा, अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा। जीएसटी लागू किया तब देश की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा। जब देश में वैक्सीन उत्पादन हो रहा था और वह निर्यात कर रहे थे और यहां लगातार कोरोना में वृद्धि हो रही थी, उसकी भी लोग समीक्षा करेंगे। मैं समझता हूं कि सबसे असफल और जुमलेबाज प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का नाम दर्ज होगा।''
राज्य में धान खरीदी शुरू होने के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि धान खरीदी एक दिसंबर से शुरू होगी।
उन्होंने कहा कि नवंबर में दीपावली है। दीपावली में कौन किसान धान बेचने आएगा। लोग त्योहार मनाएंगे कि धान बेचने आएंगे। अभी राज्य में धान कटाई चालू है। जिन किसानों के पास पानी की सुविधा थी वह किसान कटाई कर रहे हैं। लेकिन व्यापक पैमाने पर कटाई नहीं हुई है।
बघेल ने इस दौरान बताया कि राज्य सरकार राजीव गांधी किसान न्याय योजना (पिछले खरीफ मौसम के लिए) की तीसरी किस्त का वितरण करेगी जिससे किसानों को पैसे की कमी न हो।
इससे पहले राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की तारीख़ तय नहीं होने पर राज्य सरकार पर निशाना साधा था।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा था कि राज्य में प्रति वर्ष समर्थन मूल्य पर धान की सरकारी ख़रीद की तारीख़ को लेकर संशय बनाए रखने की प्रदेश सरकार की बदनीयती के चलते राज्य के लाखों किसान इस बात के लिए सदैव आशंकित रहते हैं कि आख़िर प्रदेश सरकार कब से उनका धान ख़रीदेगी।
साय ने कहा था कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के शासनकाल में एक नवंबर से धान ख़रीदी की मांग करने वाली कांग्रेस की मौज़ूदा सरकार के अब एक नवंबर से धान ख़रीदी करने में हाथ-पाँव क्यों फूल जाते हैं।
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