मुंबई, 26 जुलाई: महाराष्ट्र सरकार ने बम्बई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) को बताया कि फिल्म और टेलीविजन सेट पर 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को शूटिंग में शामिल होने से रोकने का निर्णय उनके साथ भेदभाव करना नहीं था बल्कि इस तरह के लोगों के आम हित में ऐसा किया गया है. हालांकि, सरकार ने यह भी कहा कि फिल्म और टीवी शो के सेट पर 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को प्रतिबंधित करते हुए किसी आंकड़े को ध्यान में नहीं रखा गया था.
राज्य के पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के विभाग में अवर सचिव प्रसाद महाजन द्वारा दाखिल एक हलफनामे में सरकार ने कहा कि 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को फिल्म और टेलीविज़न शूटिंग सेटों पर जाने से रोकने संबंधी उसका आदेश भेदभाव करने की दृष्टि से नहीं था, बल्कि इस तरह के लोगों के आम हित और सुरक्षा के लिए यह फैसला लिया गया.
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प्रमोद पांडे नामक एक व्यक्ति ने एक याचिका दायर कर राज्य सरकार द्वारा 30 मई, 2020 को जारी दिशा-निर्देशों को चुनौती दी थी. इस याचिका के जवाब में यह हलफनामा दाखिल किया गया. सरकार के दिशा-निर्देश में 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को फिल्म और टेलीविजन शूटिंग सेट पर जाने की अनुमति नहीं है. न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति आर आई चागला की एक खंडपीठ अगले सप्ताह इस याचिका पर अंतिम सुनवाई करेगी.
70 वर्षीय याचिकाकर्ता ने कहा कि वह चार दशकों से फिल्मों और टीवी धारावाहिकों में छोटी भूमिकाएं रहे हैं, और उनके पास आजीविका का कोई दूसरा स्रोत नहीं है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि हालांकि वह शारीरिक रूप से ठीक हैं लेकिन उन्हें स्टूडियो जाने और शूटिंग में भाग लेने की अनुमति नहीं है. सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता (पांडे) शारीरिक रूप से स्वस्थ हो सकते हैं, लेकिन तथ्य यह है कि कोई भी यह नहीं जानता है कि कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित कब होगा.
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