रूसी संसद के निचले सदन ने गुरूवार को ट्रांसजेंडर अधिकारों से जुड़े उस बिल को दूसरे चरण में पास कर दिया है जो लिंग परिवर्तन पर रोक लगाता है. हालांकि यह उन बच्चों के लिए मुमकिन होगा जिन्हें जन्म से कोई गंभीर बीमारी हैप्रस्तावित बिल लिंग बदलने के लिए की जाने वाली प्रक्रियाओं जैसे हार्मोन थेरेपी और सर्जरी पर रोक लगाने की बात कहता है. इसका मतलब है कि किसी भी डॉक्टर को इस तरह की सर्जरी करने का हक नहीं होगा. अगर यह बिल पास होता है तो देश में ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए बहुत बड़ा झटका होगा क्योंकि ये बिल आधिकारिक कागजों पर जेंडर पहचान बदलने और बच्चे गोद लेने का अधिकार भी छीनता है.
राष्ट्रीय पहचान की दुहाई
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से ही रूस ने ऐसे कई रूढ़िवादी कदम उठाए हैं, खासकर एलजीबीटीक्यू समुदाय के खिलाफ जिन्हें पश्चिमी देशों से प्रभावित और भ्रष्ट आचरण माना जाता है. इस बिल की वजह से ट्रांसजेंडर समुदाय में अपनी पहचान और भविष्य को लेकर डर है.
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संसद के निचले सदन के उप-सभापति और इस बिल को बनाने वालों में से एक प्योतर तोलस्तोय ने कहा, हम रूस और उसके सांस्कृतिक मूल्यों, उसके पारंपरिक ढांचे को बचा रहे हैं. हम चाहते हैं कि वो लोग जो इस वक्त रूस के लिए अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं (यूक्रेन में), वो वापिस आकर देखें कि यह देश कैसे बदला है.
समुदाय में डर
जाहिर है कि एलजीबीटीक्यू समुदाय में इस बिल को लेकर बेचैनी और डर है. 21 साल के ट्रांसजेंडर युवा निकोलाई (बदला हुआ नाम) कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि अब रूस में उनका जीवन कैसे चलेगा, "मैं पूरी तरह से निराश महसूस कर रहा हूं. अगर ये कानून बन जाता है तो हार्मोन थेरेपी बैन हो जाएगी. थेरेपी के बाद मेरा मानसिक स्वास्थ्य काफी सुधरा था".
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इसी तरह सेंटर टी नाम का एक एनजीओ चलाने वाले मनोवैज्ञानिक यान ड्वोरकिन कहते हैं लोगों के लिए ये सुनना बहुत मुश्किल है कि राज्य उन्हें लोगों का दुश्मन मानता है, उनके अधिकार छीनता और उन्हें गैर-कानूनी मानता है.
एसबी/ओएसजे (एएफपी)