गोल्ड कोस्ट, छह अप्रैल: (द कन्वरसेशन) लोग अक्सर इस बात से हैरान होते हैं कि कोविड संक्रमण के दौरान वह कितने थके हुए हैं. यह थकान सिर्फ अलसाने या नींद आने से कहीं अधिक है. यह अत्यधिक थकान है जो आराम करने या अच्छी नींद लेने के बावजूद बनी रहती है. यह वायरस के प्रति हमारे शरीर की मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का परिणाम हो सकता है.
लेकिन कुछ लोगों में संक्रमण दूर होने पर भी थकान बनी रहती है. इस दौरान वह कमजोरी और निराशा का अनुभव भी कर सकते हैं. इस दशा में अधिक आराम करने से कोई फर्क नहीं पड़ता.
यहाँ हम यह बता रहे हैं कि कोविड के बाद की थकावट क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है.
आलस या थकान? क्या फर्क है?
थकान शब्द का अर्थ अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है. कुछ लोगों के लिए थकान का मतलब है कि उनकी मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. हलका फुलका चलने पर भी उन्हें ऐसा लगता है जैसे उन्होंने मैराथन दौड़ लगाई हो.
अन्य सामान्य रूप से थकावट की शिकायत करते हैं, चाहे वह चल रहे हों या नहीं. लोग शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक थकान, या इनमें से किसी भी संयोजन का अनुभव कर सकते हैं. आलस और थकान के बीच का अंतर यह है: पर्याप्त आराम से आलस की स्थिति बेहतर हो सकती है, जबकि थकान बनी रहती है, भले ही कोई सो रहा हो और पहले से ज्यादा आराम कर रहा हो.
यह कितनी बड़ी समस्या है?
चूंकि कोविड के बाद की थकान की कोई सहमत परि नहीं है, कितने लोगों ने इसका अनुभव किया है, इसकी सटीक संख्या देना असंभव है. दुनिया भर में अनुमान काफी भिन्न हैं.
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