मुंबई, पांच नवंबर रायगढ़ जिले में अलीबाग पुलिस ने आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी और दो अन्य को न्यायिक हिरासत में भेजने के निचली अदालत के फैसले को सत्र अदालत में चुनौती देते हुए बृहस्पतिवार को एक पुनरीक्षण याचिका दायर की।
केस डायरी और अन्य संबंधित दस्तावेजों पर गौर करने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनयना पिंगले ने बुधवार को कहा कि पहली नजर में अभियोजन मृतक और आरोपी व्यक्तियों के बीच संपर्क को साबित करने में असफल रहा।
मजिस्ट्रेट ने आरोपियों की कंपनियों द्वारा बकाये का कथित रूप से भुगतान नहीं करने के कारण इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां को आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के मामले में बुधवार देर रात गोस्वामी और अन्य दो आरोपियों को 18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया था।
पुलिस ने अपनी याचिका में कहा है कि अलीबाग की सीजेएम अदालत ने गोस्वामी और दो अन्य आरोपी फिरोज शेख और नितेश सारदा की हिरासत देने के लिए अभियोजन द्वारा पेश याचिका और जो तथ्य रखे गए, उस पर विचार नहीं कर चूक की।
पुलिस ने सत्र अदालत से सीजेएम अदालत के आदेश को खारिज करने तथा तीनों आरोपियों की हिरासत देने का अनुरोध किया।
सीजेएम पिंगले ने कहा, ‘‘आरोपियों की गिरफ्तारी के कारणों पर विचार करने और आरोपियों की दलीलें सुनने के बाद पहली नजर में गिरफ्तारी गैर कानूनी प्रतीत होती है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे ठोस सबूत पेश नहीं किए गए हैं जिसके कारण यह अदालत गिरफ्तार किए गए आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजे।’’
रायगढ़ पुलिस की एक टीम ने बुधवार सुबह मुंबई में लोअर परेल इलाके में गोस्वामी (47) को उनके घर से गिरफ्तार किया था। गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों फिरोज शेख और नितेश सारदा को मुंबई से करीब 90 किलोमीटर दूर रायगढ़ के अलीबाग में मजिस्ट्रेट पिंगले के सामने पेश किया गया और आरोपियों को 18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
गोस्वामी को वर्तमान में एक स्थानीय स्कूल में रखा गया है, जो अलीबाग जेल के लिए कोविड-19 केंद्र का काम कर रहा है।
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