Rajasthan Politics: कांग्रेस के असंतुष्ट नेता सचिन पायलट ने सोमवार को पार्टी के कई विधायकों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार को नोटिस दिया कि इस महीने के अंत तक अगर उनकी मांगें नहीं मानी गयीं तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जायेगा. पायलट ने पांच दिन की अपनी जनसंघर्ष पदयात्रा के समापन के मौके पर आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए अपनी ही पार्टी की सरकार को ‘अल्टीमेटम’ दिया और आंदोलन करने की चेतावनी दी। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी तीन मांगें हैं और यदि इस महीने के आखिर तक मांगे नहीं मानी गयीं तो वह पूरे प्रदेश में आंदोलन करेंगे.
उन्होंने कहा कि उनकी मांगों में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) को भंग कर इसका पुनर्गठन करना, पेपर लीक से प्रभावित प्रत्येक नौजवान को उचित आर्थिक मुआवजा देना और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ लगे आरोपों की उच्च स्तरीय जांच कराना शामिल है. आरपीएससी के अध्यक्ष और सदस्यों की चयन प्रणाली पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह आम धारणा है कि यहां जुगाड़ काम करता है और नियुक्तियां राजनीतिक होती हैं. यह भी पढ़े: Rajasthan Politics: सचिन पायलट के आरोप पर सीएम गहलोत की सफाई, कहा- '15 साल में 15 बार भी नहीं हुई वसुंधरा राजे से बातचीत'
पायलट ने कहा, ‘‘नौजवानों के हित में और भ्रष्टाचार के खिलाफ, इस महीने के आखिर तक अगर ये तीनों मांगें नहीं मानी गईं तो...मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि अभी मैंने गांधीवादी तरीके से अनशन किया, जनसंघर्ष यात्रा निकाली है। महीने के आखिर तक अगर कार्रवाई नहीं होती है तो मैं पूरे प्रदेश में आंदोलन करूंगा.’सभा में पायलट ने कहा, ‘‘मैं आप सब को आश्वस्त करना चाहता हूं और वादा करता हूं कि मैं किसी पद पर रहूं या ना रहूं मैं राजस्थान की जनता व नौजवानों की सेवा अपनी आखिरी सांस तक करता रहूंगा। मैं डरने वाला नहीं हूं, मैं दबने वाला नहीं। मैं आपके लिए लड़ा हूं और लड़ता रहूंगा.
पायलट ने कहा कि उनका संघर्ष किसी नेता के खिलाफ नहीं है बल्कि भ्रष्टाचार के विरोध में है। पायलट ने कहा कि जो भी (कांग्रेसी) गुटबाजी व पार्टी में अनुशासन की बात करते हैं, उन्हें 25 सितंबर की घटना के बारे में सोचना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘25 सितंबर को सोनिया गांधी के साथ विश्वासघात किया गया, पार्टी को बेइज्जत करने का काम किया गया। जिन्होंने पार्टी के अनुशासन को तोड़ने का काम किया, उनलोगों को अपने गिरेबां में झांककर देखना पड़ेगा कि अनुशासन हमने तोड़ा या किसी और ने तोड़ा.
गहलोत समर्थक विधायकों ने पिछले साल 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक में न आकर मंत्री शांति धारीवाल के घर समानांतर बैठक की थी। इन विधायकों ने बाद में, पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था इन विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वह उन 102 विधायकों में से हो जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान गहलोत सरकार का समर्थन किया था.
उल्लेखनीय है कि पायलट ने पांच दिन की अपनी इस पदयात्रा की शुरुआत बृहस्पतिवार को अजमेर से की. इसे राजस्थान में इस चुनावी साल में, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। राज्य में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस यहां अपनी सरकार दोबारा बनने की उम्मीद कर रही है.जनसभा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। मंच पर पायलट समेत कांग्रेस के कम से कम 15 विधायक थे। इसमें राज्य सरकार के सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा व वन मंत्री हेमाराम चौधरी, एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा थे.
विधायक जी आर खटाना, वेदप्रकाश सोलंकी, सुरेश मोदी, वीरेंद्र चौधरी, राकेश पारीक, हरीश मीणा, गिर्राज मलिंगा, दीपेंद्र सिंह शेखावत, मुकेश भाकर, इंद्राज गुर्जर और रामनिवास गावड़िया भी जनसभा में शामिल हुए। पायलट के कार्यालय ने दावा किया कि रैली में 28 वर्तमान और पूर्व विधायक शामिल हुए. पायलट के कार्यालय के अनुसार सभा में पांच बोर्ड के अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सात पदाधिकारी, 10 जिला अध्यक्ष और पूर्व में पार्टी के टिकट पर लोकसभा व विधानसभा चुनाव लड़ चुके 17 नेताओं ने भी भाग लिया. पायलट ने पिछले महीने जब भ्रष्टाचार के खिलाफ एक दिवसीय अनशन की घोषणा की थी, तब कांग्रेस ने इसे पार्टी विरोधी गतिविधि करार दिया था.
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