देश की खबरें | सोनम वांगचुक की हिरासत के खिलाफ अदालत में याचिकाएं दायर, सुनवाई तीन अक्टूबर को होने की संभावना

नयी दिल्ली, एक अक्टूबर लद्दाख के जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और कई अन्य को राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर हिरासत में लिये जाने के खिलाफ मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की गईं।

वांगचुक के एक करीबी सहयोगी के वकील की ओर से मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का विशेष उल्लेख किया गया तथा मामले की गंभीरता के मद्देनजर याचिका की सुनवाई तीन अक्टूबर को करने का अनुरोध किया गया।

अदालत ने इस याचिका में कोई खामी न होने की स्थिति में तीन अक्टूबर को इसे सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की तथा कहा कि उसने हिरासत से संबंधित एक अन्य याचिका को सूचीबद्ध करने के अनुरोध को पहले ही स्वीकार कर लिया है।

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका किसी लापता या अवैध रूप से हिरासत में लिये गए व्यक्ति को पेश करने के निर्देश का अनुरोध करते हुए दायर की जाती है।

सामाजिक कार्यकर्ता आजाद और ‘लेह एपेक्स बॉडी’ के कानूनी सलाहकार वकील मुस्तफा हाजी की ओर से दायर दो अन्य रिट याचिकाओं में भी दिल्ली पुलिस के उस आदेश की आलोचना की गई है, जिसमें 30 सितंबर से पांच अक्टूबर तक राष्ट्रीय राजधानी की सीमा सहित विभिन्न हिस्सों में पांच या अधिक "अनधिकृत" लोगों के एकत्र होने तथा विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगाई गई है। आजाद ने कहा कि वे वांगचुक और ‘लेह एपेक्स बॉडी’ के साथ मिलकर काम करते हैं।

वकील विक्रम हेगड़े ने भोजनावकाश से पहले मुख्य न्यायाधीश की पीठ के समक्ष हाजी की याचिका का उल्लेख किया और मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया।

अदालत ने मामले को सुनवाई के लिए आज ही सूचीबद्ध करने से इनकार करते हुए तीन अक्टूबर को अपराह्न 3.30 बजे तक कार्य स्थिति व्यवस्थित होने पर इन याचिकाओं की सुनवाई पर सहमति जताई।

दोनों याचिकाओं में हिरासत में लिये गए लोगों की रिहाई के निर्देश देने के साथ-साथ समूह को अपनी चिंताएं दर्ज कराने के लिए दिल्ली में शांतिपूर्वक प्रवेश की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है।

वांगचुक सहित और कई अन्य लोगों को लद्दाख के लिए छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर राजधानी की ओर मार्च करते समय दिल्ली सीमा पर कथित तौर पर हिरासत में लिया गया है। वांगचुक सहित लद्दाख के लगभग 120 लोगों को हिरासत में लिया गया है।

छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों को "स्वायत्त जिलों और स्वायत्त क्षेत्रों" के रूप में प्रशासन से संबंधित है।

आजाद ने अपनी याचिका में कहा कि अधिकांश पदयात्री 30 सितंबर से अवैध हिरासत में हैं और उन्हें किसी से मिलने या कानूनी उपाय का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जा रही है।

उन्होंने अपनी याचिका में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (आजाद) द्वारा सोनम वांगचुक के साथ मिलकर तथा अन्य लोगों के एक समूह द्वारा समर्थित किया गया यह कठिन कार्य सफल साबित हो रहा था, क्योंकि अधिक से अधिक लोग लद्दाख और हिमालय के क्षेत्रों की विकट और नाजुक स्थिति के बारे में जागरूक हो रहे थे।’’

इसमें कहा गया, ‘‘(यह तब तक था) जब तक याचिकाकर्ता और याचिकाकर्ता के साथ मार्च कर रहे अन्य लोग 30 सितंबर को सिंघु सीमा पर नहीं पहुंच गए, जो दिल्ली के उत्तर-पश्चिम की ओर स्थित है और हरियाणा की ओर से दिल्ली की सीमा पर है।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता और अन्य लोगों को पहले हरियाणा पुलिस ने रोका, फिर दिल्ली पुलिस को सौंप दिया, जिसने उन्हें हिरासत में ले लिया और संविधान द्वारा दिए गए अधिकार का प्रयोग करने के लिए उन्हें अवैध रूप से हिरासत में लिया।’’

याचिका में कहा गया कि पुलिस अधिकारियों का आचरण शांतिपूर्ण सभा करने के मौलिक अधिकार और दिल्ली में अप्रतिबंधित और निर्बाध प्रवेश के अधिकार के विपरीत है।

हाजी द्वारा दायर दूसरी याचिका में इस बात पर जोर दिया गया कि वांगचुक के नेतृत्व वाले समूह ने कई राज्यों और दिल्ली से शांतिपूर्ण तरीके से यात्रा की है तथा दिल्ली पुलिस का निषेधाज्ञा आदेश बिना किसी आधार के है।

याचिका में कहा गया है कि उनके मार्च का उद्देश्य गांधी जयंती के अवसर पर केंद्र के समक्ष अपनी बात रखना था। हाजी की याचिका में वांगचुक और उनके साथ मार्च करने वाले लोगों की रिहाई का अनुरोध किया गया है, जिसमें सिंघु सीमा पर हिरासत में लिये गए करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस से जुड़े लोग भी शामिल हैं।

पदयात्रा का आयोजन ‘लेह एपेक्स बॉडी’ द्वारा किया गया था, जो पिछले चार साल से ‘करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस’ के साथ मिलकर लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा दिए जाने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने, लद्दाख के लिए लोक सेवा आयोग के साथ ही शीघ्र भर्ती प्रक्रिया शुरू करने और लेह एवं करगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटों की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रही है।

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