मुंबई, 21 जुलाई बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि कार्यकर्ता गोविंद पानसरे की हत्या के मामले में जांच आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) को हस्तांतरित करने की मांग करने वाली परिजनों की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार को निर्णय लेना चाहिए।
पानसरे को 16 फरवरी, 2015 को कोल्हापुर में गोली मार दी गई थी, जिसके चार दिन बाद 20 फरवरी को उनकी मौत हो गई। फिलहाल इस मामले की जांच महाराष्ट्र राज्य अपराध अन्वेषण विभाग (सीआईडी) कर रहा है और अब तक कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
इस महीने की शुरुआत में पानसरे की बहू मेघा पानसरे ने अपनी याचिका में दावा किया कि पानसरे, बुद्धिजीवी नरेंद्र दाभोलकर, कन्नड़ शिक्षाविद एवं कार्यकर्ता एमएम कलबुर्गी और पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के पीछे बड़ी साजिश थी।
विशेष लोक अभियोजक अशोक मुंडारगी ने बृहस्पतिवार को इस याचिका पर जवाब देने के लिए और जांच की स्थिति को लेकर एक रिपोर्ट पेश करने के लिए समय मांगा। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की खंड पीठ ने एक हफ्ते का समय दिया है।
अदालत ने कहा, ‘‘हम आप को एक हफ्ते का समय देते हैं, हम अनंत तक इंतजार नहीं कर सकते। हम इस मामले में एक निर्णय चाहते हैं। हमने आज समझते हैं, लेकिन यह अनंत तक नहीं चल सकता।’’
इस बीच दाभोलकर की हत्या के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा गिरफ्तार किये गये वीरेंद्र तावड़े की जमानत याचिका पर सुनवाई एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दी गई। अदालत ने कहा कि इस मामले में अब तक 32 में से आठ गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है।
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