पेशावर, 11 जनवरी पेशावर उच्च न्यायालय ने पाकिस्तान में राजनीतिक शरण चाहने वाले 100 से अधिक अफगान संगीतकारों के जबरन निर्वासन पर रोक लगा दी है और संघीय सरकार को दो महीने में उनके मामलों पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
पेशावर उच्च न्यायालय (पीएचसी) की दो-सदस्यीय खंडपीठ ने शुक्रवार को दलीलें सुनने के बाद मामले का निपटारा कर दिया और सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया कि वे दो महीने के दौरान उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न करें।
न्यायमूर्ति वकार अहमद की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने हशमतुल्लाह द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया। हशमतुल्लाह ने दलील दी कि वे अफगानिस्तान के रहने वाले हैं, लेकिन तालिबान सरकार की स्थापना के बाद अपनी जान को खतरा देखते हुए वे पाकिस्तान चले आए।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वे पहले ही अपनी आजीविका खो चुके हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में उन्हें और अधिक उत्पीड़न तथा जबरन निर्वासन की धमकियों का सामना करना पड़ रहा है, जो मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
उन्होंने दलील दी कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत, पाकिस्तानी सरकार उन्हें जबरन निर्वासित नहीं कर सकती।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मुमताज अहमद और संघीय सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले सहायक अटॉर्नी जनरल राहत अली नकवी अदालत में मौजूद रहे।
पीठ ने याचिकाओं का निपटारा कर दिया और संघीय सरकार या उसके नामित अधिकारियों को दो महीने के भीतर अफगान संगीतकारों के शरण देने संबंधी आवेदनों पर निर्णय लेने का निर्देश दिया।
इसके अलावा आदेश में कहा गया है कि अफगान संगीतकार संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के पास शरण के लिए आवेदन कर सकते हैं।
आदेश में कहा गया है कि अगर दो महीने के भीतर उनके मामलों पर निर्णय नहीं हो पाता है तो संघीय आंतरिक सचिव, नीतिगत ढांचे के तहत उन्हें अस्थायी रूप से पाकिस्तान में रहने की अनुमति दे सकते हैं।
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