Delhi: दिल्ली पुलिस का बड़ा बयान, कहा- पाकिस्तानी आतंकवादी गिरफ्तार, फर्जी पहचान पत्र पर 10 सालों से रह रहा था
गिरफ्तार (Photo Credits: Pixabay)

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने मंगलवार को कहा कि उसने आईएसआई (ISI) से संबंध रखने वाले और 10 साल से अधिक समय से भारत (India) में रह रहे 40 वर्षीय एक पाकिस्तानी नागरिक (Pakistani Citizen) को गिरफ्तार करके त्योहारों के समय में एक बहुत बड़ी आतंकवादी (Terrorist) साजिश विफल कर दी है. अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान (Pakistan) के पंजाब (Punjab) प्रांत के नारोवाल के रहने वाले मोहम्मद अशरफ उर्फ अली (Mohammad Ashraf alias Ali) को पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मीनगर (Laxminagar) से गिरफ्तार किया गया. उन्होंने कहा कि संदेह है कि वह जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) एवं देश के अन्य हिस्सों में आतंकवादी हमलों में शामिल रह चुका है. Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर के शोपियां में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में तीन आतंकवादी ढेर

पुलिस ने कहा कि प्रारंभिक पूछताछ से खुलासा हुआ है कि अशरफ भारत में स्लीपर सेल के प्रमुख के रूप में काम कर रहा था और उसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने त्योहारी सीजन में आतंकवादी हमला करने का जिम्मा सौंपा था.

पुलिस ने दावा किया कि पूछताछ में उससे मिली जानकारी के आधार पर यमुना पार इलाके में छापे मारे गये और उस दौरान एक एके 47 राइफल, एक हथगोला, एके 47 के दो मैगजीन, 60 गोलियां, दो चीनी पिस्तौल, फर्जी दस्तावेज के आधार पर प्राप्त किये गये भारतीय पासपोर्ट और अन्य भारतीय पहचान पत्र बरामद किये गये.

पुलिस उपायुक्त (विशेष प्रकोष्ठ) प्रमोद सिंह कुशवाहा ने कहा, ‘‘अशरफ बांग्लादेश के रास्ते भारत आया था और वह एक दशक से अधिक समय से अली अहमद नूरी के नाम से देश में रह रहा था.’’

उन्होंने कहा, ‘‘सोमवार को सूचना मिली कि अशरफ लक्ष्मी नगर इलाके में ठहरा हुआ है, जिसके बाद लक्ष्मी नगर में एक टीम तैनात की गयी और उसने अशरफ को पकड़ लिया.’’ पुलिस ने कहा कि अशरफ की गिरफ्तारी से त्योहारी सीजन में संभावित आतंकवादी हमला टल गया है. अधिकारियों के अनुसार पुलिस को दो महीने पहले सक्रिय स्लीपर सेल के बारे में सूचना मिली थी.

पुलिस ने पाया कि इस पाकिस्तानी नागरिक को भारत में आतंकवादी हमला करने का निर्देश दिया गया है और वह अपनी तैयारी के आखिरी पड़ाव में था. पुलिस ने कहा कि यह भी पता चला कि अशरफ स्लीपर सेल का सक्रिय हिस्सा है और उसने पिछले कई सालों में कई आतंकवादी हमले किये और जासूसी की.

पुलिस ने कहा कि अशरफ भारतीय पहचान पत्र हासिल करने में कामयाब रहा। वह दिल्ली में अपने को मौलाना के रूप पेश कर रह रहा था. पुलिस के अनुसार, मामले की गहन छानबीन एवं किसी भी आतंकवादी हमले को रोकने के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम और शस्त्र अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है.

पुलिस उपायुक्त ने कहा कि स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद अशरफ को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने सीधी भर्ती की थी और उसे छह महीने तक प्रशिक्षण दिया था. कुशवाहा ने कहा कि वह अली अहमद नूरी के फर्जी पहचानपत्र से भारत में रह रहा था. उसमें उसे दिल्ली के शास्त्री पार्क का निवासी दर्शाया गया है.

अधिकारियों ने बताया कि 2004 में अशरफ को सियालकोट में आईएसआई के उसके आका नासिर से प्रशिक्षण मिला और उसने उसे भारत में पाकिस्तान के वास्ते विध्वंसक गतिविधियां करने के लिए स्लीपर सेल के के रूप में काम करने के लिए प्रेरित किया.

पुलिस ने कहा कि प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वह उसी साल पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से भारत में दाखिल हुआ. वह सिलीगुड़ी में कुछ महीने रहा और बाद में वह अजमेर चला गया जहां उसने एक स्थानीय मस्जिद के मौलवी से दोस्ती की. पुलिस के अनुसार अशरफ 2006 में उस मौलवी के साथ दिल्ली आया और पुरानी दिल्ली में उस मौलवी के एक रिश्तेदार की फैक्टरी में पहुंचा तथा वह फैक्टरियों के मजदूरों को नमाज पढ़ाने का काम करने लगा.

पुलिस ने बताया कि वह उस मौलवी के दूसरे रिश्तेदारों से मिला और उसने उनका विश्वास जीत लिया. उसके बाद वह अपने पहचान पत्र के जरिए मनी ट्रांसफर से अपने आईएसआई आका से धन प्राप्त करने लगा.

भारत में रहने के दौरान वह सोशल मीडिया के विभिन्न सुरक्षित संचार चैनलों के माध्यम से नासिर के संपर्क में बना रहा. हाल ही उसे पाकिस्तानी हैंडलर ने त्योहारी सीजन के दौरान आतंकवादी हमला करने का जिम्मा सौंपा तथा उसके लिए पाकिस्तानी आका ने उसके वास्ते हथियार का इंतजाम किया.

अधिकारियों के अनुसार, अशरफ नासिर को नियोजित आतंकवादी हमले की सूचना देता था. वह किसी एक जगह लंबे समय तक नहीं रहता था और उसने दस्तावेज हासिल करने के लिए यहां एक महिला से शादी भी की. वह भारत में दिल्ली, अजमेर, गाजियाबाद, जम्मू और उधमपुर में रहा.

पुलिस के अनुसार उसने शादी के बाद बिहार में किसी गांव से अपनी पहचान स्थापित की. बाद में उसने दूसरे पतों पर पहचान पत्र बनवाये और उनके आधार पर उसने 2014 में पासपोर्ट बनवाया. उसने सउदी अरब और थाईलैंड की यात्रा की. (पहचान पत्र के अनुसार) उसका बिहार में स्थायी पता है और उसके अन्य पहचान पत्र पर अन्य पते हैं. इस बात की जांच की जा रही है कि कहीं उसका इरादा अकेले हमला करने का तो नहीं था.

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