नयी दिल्ली, 2 दिसंबर: लोकसभा से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सदस्य महुआ मोइत्रा का आसन्न निष्कासन, आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए तीन विधेयक और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक प्रस्तावित कानून जैसे मुद्दे संसद के शीतकालीन सत्र में छाए रहने की उम्मीद है. वहीं, सरकार ने विपक्ष से सदन में चर्चा के लिए अनुकूल माहौल सुनिश्चित करने का आग्रह किया है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को संसद में राजनीतिक दलों के नेताओं की एक बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी, कांग्रेस नेता जयराम रमेश, गौरव गोगोई और प्रमोद तिवारी, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता सुदीप बंद्योपाध्याय और डेरेक ओ'ब्रायन, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की नेता फौजिया खान समेत अन्य नेता शामिल हुए. संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार को शुरू होगा और यह 22 दिसंबर तक चलेगा. रविवार को चार राज्यों - राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना - विधानसभा चुनावों के नतीजों का असर संसद के शीतकालीन सत्र पर भी पड़ने की उम्मीद है.
संसद में ‘सवाल पूछने के लिए पैसे लेने’ से संबंधित शिकायत पर मोइत्रा को निचले सदन से निष्कासित करने की सिफारिश करने वाली लोकसभा आचार समिति की रिपोर्ट भी सत्र के पहले दिन सोमवार को सदन में पेश किए जाने के लिए सूचीबद्ध है. शनिवार को सर्वदलीय बैठक में, टीएमसी नेताओं ने मोइत्रा को सदन से निष्कासित करने का कोई भी निर्णय लेने से पहले आचार समिति की रिपोर्ट पर लोकसभा में चर्चा कराने की मांग की. कांग्रेस नेता तिवारी ने कहा कि विपक्ष ने मणिपुर में स्थिति, बढ़ती महंगाई, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के ‘‘दुरुपयोग’’, कानूनों (तीन आपराधिक कानूनों) को बदलने के जरिये हिंदी ‘‘थोपने’’, जैसे मुद्दों पर संसद में चर्चा कराने पर भी जोर दिया.
जोशी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं। लेकिन जब आप संक्षिप्त अवधि की चर्चा चाहते हैं, तो आपको सदन में चर्चा के लिए अनुकूल माहौल भी सुनिश्चित करना होगा.’’ शिवसेना नेता राहुल शेवाले ने कहा कि सदन को मराठा और धनगर समुदायों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए,
जिस विषय पर महाराष्ट्र में बहस छिड़ी हुई है. रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सदस्य एन. के. प्रेमचंद्रन और एआईएडीएमके के सदस्य एम. थंबी दुरई ने आपराधिक कानूनों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय साक्ष्य (बीएस) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) नाम देकर हिंदी “थोपने” का विरोध किया, जो क्रमशः भारतीय दंड संहिता(आईपीसी), भारतीय साक्ष्य अधिनियम और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की जगह लेंगे.
प्रेमचंद्रन ने कहा, “जहां तक दक्षिण भारत के राज्यों के लोगों की बात है, इसका उच्चारण करने में उन्हें बहुत कठिनाई होगी.” उन्होंने कहा कि विपक्षी दल संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान यह मुद्दा उठाएंगे. सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र के लिए 19 विधेयक और दो वित्तीय एजेंडा सूचीबद्ध किये हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की राज्यसभा सदस्य महुआ मांझी ने छोटे दलों को सदन में मुद्दे उठाने के लिए अधिक समय देने की मांग की.
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