नयी दिल्ली, नौ सितंबर: जी20 नेताओं को घोषणापत्र में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का जिक्र करने से परहेज किया गया और सभी देशों से एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने के सिद्धांत का पालन करने का सामान्य आह्वान किया गया, जिसे मोटे तौर पर संघर्ष को लेकर पश्चिमी देशों के रुख में नरमी के तौर पर देखा जा रहा है. यह भी पढ़ें: G20 Summit: PM मोदी और ब्रिटेन के पीएम सुनक के बीच व्यापार संबंधों को गहरा करने के साथ ही निवेश को बढ़ावा देने पर हुई चर्चा
भारत ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ सिलसिलेवार गहन वार्ताओं के माध्यम से विवादास्पद मुद्दे पर जी20 देशों के बीच एक अप्रत्याशित आम सहमति बनाने में कामयाब रहा. इन वार्ताओं ने सफलता तक पहुंचने में अग्रणी भूमिका निभाई.
सूत्रों ने कहा कि इन तीन देशों ने वह मसौदा तैयार करने में भी मदद की, जिसे हर सदस्य देश की मंजूरी मिली. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “बाली घोषणापत्र के साथ तुलना के संबंध में, मैं केवल यही कहूंगा कि बाली बाली था और नयी दिल्ली नयी दिल्ली है. मेरा मतलब है, बाली (जी20 शिखर सम्मेलन) को एक साल हो गया है.”
उन्होंने कहा, “तब स्थिति अलग थी. तब से कई चीजें हुई हैं. और वास्तव में यदि आप नेताओं के घोषणापत्र के भू-राजनीतिक खंड में देखें, तो कुल आठ पैराग्राफ हैं, जिनमें से सात वास्तव में यूक्रेन मुद्दे पर केंद्रित हैं.”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि किसी को इसके बारे में रूढ़िवादी विचार नहीं रखने चाहिए. नयी दिल्ली घोषणापत्र में वर्तमान स्थिति और चिंताओं का जवाब दिया गया है, ठीक उसी तरह जैसे एक साल पहले बाली घोषणापत्र में किया गया था.”
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