गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), 30 सितंबर : गोरखपुर जिले (Gorakhpur District) में कथित रूप से पुलिस की बर्बरतापूर्ण पिटाई के बाद एक कारोबारी की मौत को लेकर मचे बवाल के बीच सोशल मीडिया पर अधिकारियों द्वारा पीड़ित पक्ष को समझौते के लिए समझाए जाने का एक वीडियो वायरल हो गया है. इस वीडियो में पुलिस की वर्दी में एक अधिकारी और उसके बगल में बैठा एक अन्य व्यक्ति कथित रूप से मृत कारोबारी के परिजन को मामले में कुछ समझाते नजर आ रहे हैं. वर्दी पहने अधिकारी के कंधे पर आईपीएस का बैज भी लगा हुआ है. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वे अधिकारी कौन हैं. कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई द्वारा ट्वीट के साथ टैग किए गए इस वीडियो में नजर आ रहे अधिकारी को जिलाधिकारी विजय किरन आनंद बताया जा रहा है जो पीड़ित परिवार से कह रहे हैं कि अदालत में मुकदमे कई साल तक चलते रहते हैं. वहीं, पुलिस की वर्दी पहना अधिकारी यह आश्वासन देता सुनाई दे रहा है कि आरोपी पुलिसकर्मियों को दोबारा तब तक वर्दी नहीं दी जाएगी जब तक उन्हें क्लीन चिट नहीं मिल जाती.
वी़डियो में दिख रहा पुलिस अधिकारी पीड़ित परिवार से यह भी कह रहा है कि उन्होंने आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है और परिवार अगर चाहे तो उनकी बर्खास्तगी की भी बात की जाएगी. इस पर परिवार की एक महिलाा कह रही है कि उन्हें किसी की नौकरी नहीं चाहिए बल्कि इंसाफ चाहिए. कांग्रेस ने ट्वीट में कहा, “बेटी को न्याय नहीं लालच दिया जा रहा है. पैसा और नौकरी देकर मामले को सुलझाया जा रहा है. मुख्यमंत्री जी न्याय के बजाय अधिकारियों से प्रलोभन दिलवा कर मामला खत्म करवा रहे हैं. क्या प्रलोभन स्वीकार के बाद ही मुख्यमंत्री पीड़िता से मिलेगें? यह कैसी न्याय व्यवस्था है?" समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष राम नगीना साहनी ने कहा, "मैंने वह वीडियो देखा है. यह बेहद निराशाजनक है कि जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बताए जा रहे दो अधिकारी पीड़ित पक्ष से कह रहे हैं कि अदालतों में मुकदमे सालों साल चलते हैं." उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में जब से भाजपा की सरकार बनी है तब से गोरखपुर हत्याकांडों का जिला बन गया है. सरकार अपराध रोकने में नाकाम है और इसके बजाय वह विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज करने में मशगूल है. यह भी पढ़ें : दुष्कर्म पीड़िता आईएएफ अधिकारी का आरोप, चिकित्सा अधिकारियों ने कराया अवैध टेस्ट
इस बीच, कांग्रेस जिला अध्यक्ष निर्मला पासवान ने दावा किया कि व्यापारी मनीष गुप्ता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके सिर में गहरी चोट लगने तथा शरीर पर कई घाव होने की बात सामने आई है. इससे जाहिर होता है कि पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्ण तरीके से मारे-पीटे जाने के कारण ही कारोबारी की मौत हुई है. गौरतलब है कि गत सोमवार देर रात गोरखपुर जिले के रामगढ़ ताल इलाके में पुलिस ने एक होटल में तलाशी ली थी. आरोप है कि किसी अन्य व्यक्ति के पहचान पत्र के आधार पर होटल के एक कमरे में रुके तीन व्यवसायियों से पूछताछ के दौरान पुलिस ने उन्हें मारा पीटा था. सिर में चोट लगने से उनमें से एक कारोबारी मनीष गुप्ता (36) की गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई थी. इस मामले में आरोपी सभी छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करके उन्हें निलंबित कर दिया गया है. वहीं, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने इस मुद्दे पर सरकार की कड़ी निंदा करते हुए प्रकरण की सीबीआई से जांच की मांग की है.