नयी दिल्ली, दो जनवरी सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपने सुझावों या विचारों को विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) में शामिल नहीं किए जाने का कारण जानने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में यह भी कहा कि सरकार विदेश व्यापार नीति के लिए उद्योग से जुड़े विभिन्न पक्षों से उनके विचार और सुझाव मांग सकती है। लेकिन वह सुझाव मांगे बिना भी नीति में किसी भी विशिष्ट प्रावधान को स्वत: तैयार करने, संशोधित करने या शामिल करने का अधिकार रखती है।
नीति के एक प्रावधान में संशोधन करते हुए, डीजीएफटी ने व्यापार सुविधा उपायों को पेश करने के लिए दो ‘पैराग्राफ’ जोड़े। इसमें केंद्र सरकार के पास निर्यातकों/आयातकों/उद्योग विशेषज्ञों जैसे संबंधित पक्षों के साथ उनके विचार जानने के लिए परामर्श करने का विकल्प उपलब्ध है।
अधिसूचना में कहा गया, ‘‘विदेश व्यापार नीति में शामिल नहीं किए जाने पर किसी भी व्यक्ति को उसके विचारों, टिप्पणियों या राय के लिए कारण जानने का कोई भी कानूनी अधिकार नहीं दिया जाएगा।’’
इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार विदेश व्यापार नीति तैयार करने या संशोधन पर अपने विचारों, सुझावों, टिप्पणियों या प्रतिक्रिया को शामिल नहीं करने के लिए आयातकों और निर्यातकों जैसे पक्षों को कारण बताने के लिए बाध्य नहीं है।
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